NCERT Solutions for Class 7 Hindi Durva Chapter 7 – पुस्तकें जो अमर हैं (Pustaken Jo Amar Hai) – मनोज दास
Textbook | Hindi Class 7 Durva (दूर्वा भाग 2) |
Chapter | 7 – Pustaken Jo Amar Hai (पुस्तकें जो अमर हैं) |
Author | Manoj Das (मनोज दास) |
पाठ से
1. सी ह्यांग ती के समय में पुस्तकें कैसे बनाई जाती थीं?
उत्तर:- सी ह्यांग ती के समय में कागज़ का आविष्कार नहीं हुआ था, इसलिए उस ज़माने में पुस्तकें लकड़ी के टुकड़ों पर अक्षर खोदकर बनाई जाती थी।
2. पाठ के आधार पर बताओ कि राजा को पुस्तकों से क्या खतरा था?
उत्तर:- राजा को लोगों के पढ़ने से बहुत नाराज़गी थी। उनका मानना था कि इतिहास, दर्शनशास्त्र और कथा-कहानियों की किताबों से प्रजा को कोई मतलब नहीं होना चाहिए; क्योंकि प्रजा का काम है- मेहनत करना, चुपचाप राजा की आज्ञाओं का पालन करना और कर चुकाते रहना। इसी से राज्य में शांति बनी रह सकती है। राजा के मन में यह डर भी था कि अगर किसी किताब में उसके या उसके पूर्वजों के बारे में बुरा-भला लिखा होगा तो प्रजा उसे पढ़कर बागी हो सकती है।
3. पुराने समय से ही अनेक व्यक्तियों ने पुस्तकों को नष्ट करने का प्रयास किया। पाठ में से कोई तीन उदाहरण ढूंढकर लिखो।
उत्तर:- प्रस्तुत पाठ के अनुसार पुराने ज़माने में अनेक व्यक्तियों ने पुस्तकों को नष्ट करने का प्रयास किया। पाठ में दिए गए तीन उदाहरणों का वर्णन नीचे दिया गया है:
- सबसे पहले सी ह्यांग ती नामक चीनी सम्राट ने सभी पुस्तकें नष्ट कर देने का आदेश दिया क्योंकि उसे भय था कि किताबें पढ़कर उसकी प्रजा बागी हो जाएगी।
- छठी शताब्दी में आक्रमणकारियों ने नालंदा विश्वविद्यालय के विशाल पुस्तकालय के तीन विभागों को जलाकर राख कर दिया था।
- सातवीं शताब्दी में भी प्राचीन नगर सिकंदरिया के एक बहुत बड़े पुस्तकालय को आक्रमणकारियों ने जला दिया था, क्योंकि उनका मानना था कि लोगों को सिर्फ पवित्र ग्रंथ पढ़ने चाहिए।
4. बार-बार नष्ट करने की कोशिशों के बाद भी किताबें समाप्त नहीं हुई। क्यों?
उत्तर:- बार-बार नष्ट करने की कोशिशों के बाद भी पुस्तकें समाप्त नहीं हुई क्योंकि पुस्तकें मनुष्य की चतुराई, अनुभव, ज्ञान, भावनाओं, कल्पना और दूरदर्शिता से मिलकर बनती हैं। पुस्तके नष्ट कर देने से मनुष्य में से ये गुण समाप्त नहीं हो जाते। पुस्तकें मनुष्य के मन में छुपी होती है, जहां से उनको मिटा पाना असंभव है और इसीलिए डेनिस पादरी बेन जोसफ अकीबा ने अपनी एक पुस्तक के अंत में लिखा है- “कागज ही जलता है, शब्द तो उड़ जाते हैं।”
NCERT Solutions for Class 7 Hindi Durva Chapter 7 – तुम्हारी बात
1. किताबों को सुरक्षित रखने के लिए तुम क्या करते हो?
उत्तर:- किताबों को सुरक्षित रखने के लिए हम निम्नलिखित उपाय अपनाते हैं:
- किताबों को अलमारी में अच्छे से सजाकर रखते हैं।
- उनकी नियमित रूप से साफ-सफाई करते हैं।
- सभी पुस्तकों पर कवर चढ़ा कर रखते हैं।
- दीमक से बचाने के लिए पुस्तकों की अलमारी में नमी नहीं होने देते और समय-समय पर आवश्यक कीटनाशक दवा का छिड़काव करते हैं।
2. पुराने समय में किताबें कुछ लोगों तक ही सीमित थीं। तुम्हारे विचार से किस चीज़ के आविष्कार से किताबें आम आदमी तक पहुंच सकीं?
उत्तर:- पुराने समय में किताबें कुछ लोगों तक ही सीमित थी क्योंकि उस समय कागज का आविष्कार नहीं हुआ था और लकड़ी के टुकड़ों पर अक्षर खोदकर किताबें छापी जाती थी। इस तरह किताबें लिखने में बहुत अधिक समय लगता था और किताबों की कीमत बहुत अधिक हुआ करती थी। लेकिन कागज़ के आविष्कार ने किताबों की छपाई में लगने वाले समय और कीमत, दोनों को कम कर दिया। इसलिए अब किताबें आम आदमी की पहुंच से दूर नहीं है। ऊपर से इंटरनेट सुविधा के कारण आजकल किताबें ई-बुक के रूप में बेहद आसानी से मिल जाती है।
NCERT Solutions for Class 7 Hindi Durva Chapter 7 – सही शब्द भरो
- साहित्य की दृष्टि से भारत का अतीत महान है। (अतीत/भूगोल)
- पुस्तकालय के तीन विभागों को जलाकर राख कर दिया गया। (गर्म/राख)
- उसे किताबों सहित ज़मीन में दफना दिया गया। (ज़मीन/आकाश)
- कागज़ ही जलता है, शब्द तो उड़ जाते हैं। (शब्द/पांडुलिपियां)
पढ़ो, समझो और करो
- इतिहास – इतिहासकार
- शिल्प – शिल्पकार
- गीत – गीतकार
- संगीत – संगीतकार
- मूर्ति – मूर्तिकार
- रचना – रचनाकार
NCERT Solutions for Class 7 Hindi Durva Chapter 7 – कहानी किताब की
मान लो कि तुम एक किताब हो। नीचे दी गई जगह में अपनी कहानी लिखो।
उत्तर:- मैं एक किताब हूं। पुराने समय से ही मनुष्य अपना ज्ञान बांटने के लिए मेरा प्रयोग करता आ रहा है। मैं ज्ञान का एक असीम सागर हूं।
लेकिन मेरा रूप हमेशा से ऐसा नहीं था, जैसा आज तुम देख रहे हो। 2000 वर्ष पूर्व जब कागज़ का आविष्कार नहीं हुआ था, तब मेरा निर्माण लकड़ी के टुकड़ों पर अक्षर खोदकर किया जाता था। उस समय मेरा मूल्य बहुत अधिक हुआ करता था और क़ीमत कम हुआ करती थी क्योंकि उस समय के राजा-महाराजा को प्रजा के बीच मेरी मौजूदगी रास नहीं आती थी। इस कारण इतिहास में कई बार मुझे नष्ट करने का प्रयास किया जा चुका है। लेकिन वे सारे प्रयास विफल रहे क्योंकि शरीर नष्ट होने से आत्मा नष्ट नहीं होती; आत्मा तो हमेशा अमर रहती है। इसी प्रकार मुझे नष्ट करने से मेरा अस्तित्व नष्ट नहीं हुआ क्योंकि असल मायनों में मैं मनुष्य के मन-मस्तिष्क की चतुराई, अनुभव, ज्ञान, भावनाओं, कल्पना, दूरदर्शिता और स्वभाव में रहती हूं, जिसे नष्ट कर पाना नामुमकिन है।
परिवर्तन प्रकृति का एक महत्वपूर्ण अंग है। प्रत्येक वस्तु की तरह समय के साथ-साथ मेरे रूप में भी परिवर्तन आया है। पहले मेरा निर्माण लकड़ी के टुकड़ों पर किया जाता था, फिर ताड़पत्र व ताम्रपत्र पर किया जाने लगा। कागज के निर्माण से मुझे एक छोटा व सरल आकार मिला, जिसे कहीं भी लाया वह ले जाया जा सकता है। इंटरनेट सुविधा ने मेरे आकार को और घटकर ई-किताबों का रूप दे दिया है। आज लोगों को सही मायने में मेरा और मेरे अंदर विसर्जित ज्ञान का असली मूल्य पता है और इसी से मेरा अस्तित्व कायम है।
वाक्य विश्लेषण
किसी भी वाक्य के दो अंग होते हैं- उद्देश्य और विधेय। वाक्य का विश्लेषण करने में वाक्य के इन दोनों खंडों और अंगों को पहचानना होता है।
नीचे लिखे वाक्यों का विश्लेषण करो।
मोहन के गुरु जी श्याम पट्ट पर प्रश्न लिख रहे हैं।
उत्तर:-
- उद्देश्य :
मुख्य उद्देश्य – मोहन
कर्ता का विशेषण – गुरुजी
क्रिया – लिख रहे हैं
- विधेय :
कर्म – प्रश्न
कर्म का विशेषण –
पूरक –
विधेय विस्तारक – श्याम पट्ट पर
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