CBSE NCERT Solutions for Class 8 Hindi Durva Chapter 10 – Bus Ki Sair (बस की सैर)
Textbook | Hindi Class 8 Durva (दूर्वा भाग 3) |
Chapter | 10 – Bus Ki Sair (बस की सैर) |
Author | वेल्ली कानन |
पाठ से –
क) शहर की ओर जाते हुए बलली ने बस की खिड़की से बाहर क्या – क्या देखा ?
“अब तो उसकी खिड़की से बाहर देखने की इच्छा भी खत्म हो गई थी ।”
उतर – शहर की ओर जाते हुए बल्ली ने बस की खिड़की से बाहर घास के मैदान, नहर , ताड़ के वृक्ष, सुंदर पहाड़ियां, नीला आसमान और गहरी खाई देखी। उसने बस की खिड़की से दूर – दूर फैले खेत, हरियाली ही हरियाली दिख रही थी, जिसकी वजह से उसका खिड़की के बाहर देखने की इच्छा भी खत्म हो गई थी ।
ख) वापसी में बल्ली ने खिड़की के बाहर देखना बंद क्यों कर दिया ?
उतर – वापसी में बल्ली ने खिड़की के बाहर देखना बंद कर दिया, क्योंकि वापसी में बल्ली ने मरी हुईं बच्छिया देख ली थी। जिसका ख्याल उसे बार – बार अत रहा था, और उसका मन उदास हो गया था ।
ग) बल्ली ने बस के टिकट के लिए पैसों का प्रबंध कैसे किया ?
उतर – बल्ली ने बस के टिकट के लिए पैसे जोड़ने शुरू किए, उसने अपनी इच्छा गुब्बारे खरीदने की, मीठी गोलियां खाने की, खिलौने लेने की को दबाया ।
CBSE NCERT Solutions for Class 8 Hindi Durva Chapter 10 – क्या होता अगर –
क) बल्ली की मां जाग जाती और बल्ली को घर पर न पाती ?
उतर – बल्ली की मां जाग जाती और बल्ली को घर पर न पाती तो वो परेशान हो जाती और उसे ढूढने लगती ।
ख) बल्ली शहर देखने के लिए बस से उतर जाती और बस वापिस चली जाती ?
उतर – यदि बल्ली शहर देखने के लिए बस से उतर जाता और बस वापिस चली जाती तो वह शहर में खो जाती और एक डर जाती ।
NCERT Solutions for Class 8 Hindi Durva
- 1. गुड़िया – कुँवर नारायण
- 2. दो गौरैया – भीष्म साहनी
- 3. चिट्ठियों में यूरोप – सोमदत्त
- 4. ओस – सोहनलाल द्विवेदी
- 5. नाटक में नाटक – मंगल सक्सेना
- 6. सागर यात्रा – कर्नल टी.सी.एस चौधरी
- 7. उठ किसान ओ – त्रिलोचन
- 8. सस्ते के चक्कर – सूर्यबाला
- 9. एक खिलाड़ी कि कुछ यादें – केशवदत्त
- 10. बस की सैर – वेल्ली कानन
- 11. हिंदी ने जानकी बदल दी – जय प्रकाश पांडेय
- 12. आषाढ़ का पहला दिन – भवानी प्रसाद मिश्र
- 13. अन्याय के खिलाफ – चकमक से
- 14. बच्चो के प्रिय श्री केशव शंकर पिल्लै – आशा रानी व्होरा
- 15. फर्श पर – निर्मला गर्ग
- 16. बूढ़ी अम्मा की बात – संकलित
- 17. वह सुबह कभी तो आएगी – सलमा