अव्यय – अव्यय के प्रकार (Avyay or Avyay ke Prakar)
अविकारी शब्द – ऐसे शब्द जिनके स्वरुप में लिंग, वचन, काल आदि के प्रभाव से कोई विकार नहीं होता अर्थात् कोई परिवर्तन नहीं होता वे अविकारी शब्द कहलाते हैं |
अव्यय का शाब्दिक अर्थ है –
अ (नहीं) + व्यय (खर्च या परिवर्तन)
→ जैसे – यहाँ, वहाँ, धीरे, तेज, कब, और, तथा, एवं आदि |
Topics Covered in Avyay or Avyay ke Prakar (अव्यय – अव्यय के प्रकार)
अव्यय के प्रकार (Avyay ke Prakar)

क्रिया-विशेषण ( Kriya Visheshan Avyay)
ऐसे अव्यय शब्द जो क्रिया की विशेषता बतलाते हैं, उन्हें क्रिया विशेषण कहते हैं |
जैसे –
राधा धीरे बोलती है |
मोहन तेज चलता है |
आप भीतर बैठ जायें |
क्रिया विशेषण के भेद (Kriya Visheshan ke bhed)
- रीतीवाचक क्रिया विशेषण
- स्थानवाचक क्रिया विशेषण
- कालवाचक क्रिया विशेषण
- परिमाणवाचक क्रिया विशेषण
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समुच्चय बोधक अव्यय (Samuchaya bodhak Avyay)
वे अव्यय शब्द, जो दो शब्दों, वाक्यांशों या वाक्यों को जोड़ते हैं, उन्हें समुच्चय बोधक अव्यय या संयोजक शब्द कहते हैं |
जैसे → राम और मोहन विद्यालय गए |
→ गीता और सीता खाना खा रही है |

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संबंध बोधक अव्यय
वे अव्यय शब्द, जो किसी संज्ञा या सर्वनाम शब्द के साथ लगकर उसका सम्बन्ध वाक्य में प्रयुक्त अन्य शब्द से बताते हैं, उन्हें संबंध बोधक अव्यय कहते हैं |
जैसे → दूध के बिना बच्चा नहीं रह सकता |
→ गोलू दादा जी के साथ घूमने जाता है |
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विस्मयादिबोधक अव्यय (Vismayadibodhak Avyay)
वे अव्यय शब्द, जो आश्चर्य, विस्मय, शोक, घृणा, प्रशंसा, प्रसन्नता, भय आदि भावों का बोध कराते हैं, उन्हें विस्मयादिबोधक अव्यय कहते हैं |
जैसे → अहा ! कितना सुन्दर दृश्य है |
→ जीते रहो ! दीर्घायु हो |
संबंधबोधक और क्रिया विशेषण में अंतर – जब इनका प्रयोग संज्ञा या सर्वनाम के साथ होता है तब वे संबंधबोधक अव्यय होते हैं और जब वे क्रिया की विशेषता प्रकट करते हैं तब क्रिया विशेषण होते हैं |
जैसे→
(i) दिनकर से आगे पुष्कर निकल गया | (संबंधबोधक)
पुष्कर दिनकर से आगे चला गया | (क्रिया विशेषण)
(ii) विनय कमरे के अंदर बैठा है | (संबंधबोधक)
विनय अंदर बैठा है | (क्रिया विशेषण)