Viram Chinh

Viram Chinh ki Paribhasha, Viram Chinh ke Prakar with Example

विराम चिन्ह की परिभाषा (Viram chinh ki Paribhasha)
किसी भी भाषा को बोलते, पढ़ते या लिखते समय या किसी कथन को समझाने के लिए अथवा भावों को स्पष्ट करने के लिए वाक्यों  के बीच में या अन्त में थोड़ा रुकना होता है और इसी रुकावट का संकेत देने वाले लिखित चिह्न विराम चिह्न कहलाते हैं |

विराम का शाब्दिक अर्थ है – ठहराव अथवा रुकना |

जैसे – रुको, मत जाओ |
रुको मत, जाओ |

विराम चिह्न के नाम (Viram Chinh with Examples)

प्रमुख विराम चिह्न (Pramukh Viram Chinh)



पूर्ण विराम ( | ) – Purn Viram Chinh

– ( | ) पूर्ण विराम का प्रयोग वाक्य पूरा होने पर किया जाता है | जहाँ प्रश्न पूछा जाता हो उसे छोड़कर हर प्रकार के वाक्यों के  अन्त  में इसका प्रयोग होता है |

जैसे
(1) रात का समय था
(2)  भारत मेरा देश है |
(3)  वाह ! कितना सुन्दर घर है |

अर्धविराम ( ; ) – Ardh Viram Chinh

– जहाँ पूर्ण विराम जितनी देर न रुककर उससे कुछ कम समय रुकना हो वहाँ अर्ध विराम का प्रयोग किया जाता है |

जैसे – भगतसिंह नहीं रहे; वे अमर हो गए |

(i)   वाक्य के ऐसे उपवाक्यों को अलग करने में जिनके भीतर अल्प विराम का प्रयोग हुआ है |
जैसे ‘ध्रुवस्वामिनी’ में एक ओर ध्रुवस्वामिनी, मन्दाकिनी, कोमा आदि स्त्री पात्र हैं; दूसरी ओर रामगुप्त, चन्द्रगुप्त, शिखरस्वामी आदि पुरुष  पात्र हैं |
(ii)  मिश्र तथा संयुक्त वाक्य में विपरीत अर्थ प्रकट करने या विरोध पूर्ण कथन प्रकट करने वालों उपवाक्यों के बीच में |
जैसे – जो पेड़ों के पत्थर मारते हैं; वे उन्हें फल देते हैं |

अल्पविराम ( , ) – Alp Viram Chinh

  1. वाक्य के भीतर एक ही प्रकार के शब्दों को अलग करने में
    जैसे → राम ने आम, अमरुद, केले आदि खरीदे |
  2. वाक्य के उपवाक्यों को अलग करने में
    हवा चली, पानी बरसा और ओले गिरे |
  3. दो उपवाक्यों के बीच संयोजक का प्रयोग न किये जाने पर
    जैसे – राम ने सोचा, अच्छा हुआ जो मैं नहीं गया |
  4. उद्धरण चिह्न के पूर्व भी |
    उसने कहा, “मैं तुम्हें नहीं जानता |”
  5. समय सूचक शब्दों को अलग करने में –
    कल सोमवार, दि. २० फरवरी से परीक्षाएँ प्रारम्भ होंगी |
  6. कभी-कभी सम्बोधन के बाद इसका प्रयोग होता है |
    राधे, तुम आज भी विद्यालय नहीं गयीं |
    पत्र में अभिवादन, समापन के साथ पूज्य पिताजी, भवदीय,

प्रश्नसूचक चिह्न (?) – Prashan suchak Chinh

– प्रश्न सूचक चिह्न का प्रयोग प्रश्नवाचक वाक्यों या शब्दों के अन्त में किया जाता है |

जैसे – क्या तुमने अपना गृहकार्य पूरा कर लिया ?
तुम कब आओगे ?

विस्मय सूचक चिह्न (!) – Vismay suchak Chinh

– खुशी, हर्ष, घृणा, दुख, करुणा, दया, शोक, विस्मय आदि भावों को प्रकट करने के लिए इस चिह्न का प्रयोग किया जाता है | सम्बोधन के बाद भी इसका प्रयोग किया जाता है |

जैसे – वाह ! कितना सुन्दर चित्र है (खुशी)
अरे! तुम आ गए | (आश्चर्य)
ओह! तुम्हारे साथ तो बहुत बुरा हुआ | (दुख)

योजक चिह्न (-) – Yojak chinh

इस प्रकार के चिह्न का प्रयोग युग्म शब्दों के मध्य या दो शब्दों में संबंध स्पष्ट करने के लिए तथा शब्दों को दोहराने की स्थिति में किया जाता है | जैसे – पीला – सा, खेलते – खेलते, सुख-दुख |

जैसे
सभी के जीवन में सुख-दुख तो आते ही रहते हैं |
सफलता पाने के लिए दिन-रात एक करना पड़ता है |

निर्देशक चिह्न (─) – Nirdeshak chinh

─ किसी भी निर्देश या सूचना देने वाले वाक्य के बाद या किसी कथन को उद्धृत करने, उदाहरण देने, किसी का नाम,   (कवि, लेखक आदि का) लिखने के लिए किया जाता है |

जैसे –
हमारे देश में अनेक देशभक्त हुए─भगतसिंह, लक्ष्मीबाई, गाँधीजी आदि |
माँ ने कहा─बड़ों का आदर करना चाहिए |




उद्धरण चिह्न (” “) – Udharan Viram Chinh

– किसी के कहे कथन या वाक्य को या किसी रचना के अंश को ज्यों का त्यों प्रस्तुत करना हो तो कथन के आदि और अंत में इस चिह्न का प्रयोग किया जाता है |

उद्धरण चिह्न दो प्रकार के होते हैं – इकहरे (‘  ‘) तथा दोहरे (”  “) इकहरे चिह्न का प्रयोग विशेष व्यक्ति, ग्रन्थ, उपनाम आदि को प्रकट करने के लिए किया जाता है |
जबकि किसी की कही बात को ज्यों की त्यों लिखा जाए तो दोहरे उद्धरण चिह्न का प्रयोग करते हैं |

जैसे –
‘गोदान’ प्रेमचन्द का प्रसिद्ध उपन्यास है |
सुभाषचन्द्र बोस ने कहा था, “दिल्ली चलो |”

विवरण चिह्न(:-) – Vivaran Chinh

– इसका प्रयोग विवरण या उदाहरण देते समय किया जाता है |
जैसे – गाँधीजी ने तीन बातों पर बल दिया :- सत्य, अहिंसा और प्रेम |

कोष्ठक : ( ), {  }, [  ] – Kostak Chinh

  1. वाक्य में प्रयुक्त किसी पद का अर्थ स्पष्ट करने हेतु
    जैसे – मुख की उपमा मयंक (चन्द्रमा) से दी जाती है |
  2. नाटक में पात्र के अभिनय के भावों को प्रकट करने के लिए |
    कोमा – (खिन्न होकर) मैं क्या न करूँ ? (ठहर कर) किन्तु नहीं, मुझे विवाद करने का अधिकार नहीं |

त्रुटिपूरक चिह्न या हंसपद ( ^ ) – Hanspad Chinh

– लिखते समय कोई शब्द छूट जाता है तो इस चिह्न को लगाकर ऊपर छूटा हुआ शब्द लिख दिया जाता है | इस चिह्न को हंसपद भी कहते हैं |

जैसे – मुझे आज जाना है |
अजमेर
मुझे आज  ^ जाना है |

संक्षेप सूचक ( 0 ) – Sankshep suchak Viram Chinh

– किसी शब्द को संक्षेप में लिखने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है | उस शब्द का पहला अक्षर लिखकर उसके आगे बिंदु (0) लगा देते हैं | यह शून्य लाघव चिह्न के नाम से भी जाना जाता है |

जैसे – मोहनदास कर्मचन्द गांधी मो. क. गाँधी
डॉक्टर नीलम डॉ. नीलम

Hindi Grammar Class 10 – Notes

  1. क्रिया (सकर्मक क्रिया, अकर्मक क्रिया )
  2. काल – काल के भेद
  3. प्रत्यय – प्रत्यय के प्रकार
  4. उपसर्ग – उपसर्ग के भेद
  5. सर्वनाम – सर्वनाम के भेद
  6. अलंकार – अलंकार के भेद
  7. मुहावरे तथा लोकोक्तियाँ
  8. विराम चिहन
  9. उपवाक्य
  10. अव्यय – अव्यय के प्रकार
  11. कारक – कारक के भेद
  12. वाक्य विश्लेषण
  13. वाक्य संश्लेषण
  14. विशेषण – विशेषण के भेद
  15. तत्सम – तद्भव शब्द
  16. अर्थ विचार
  17. शुद्ध वर्तनी
  18. समास – समास के भेद
  19. वाच्य –  वाच्य के भेद
  20. वाच्य परिवर्तन
  21. पद-परिचय
  22. वचन
  23. रस – रस के अंग या भाव
  24. वाक्य
  25. लिंग – लिंग के भेद

 

5 thoughts on “Viram Chinh”

  1. nice explanation but few combined examples for revision or test should be given! otherwise its a good site for understanding hindi grammar topics! satisfied work!

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