Shabd Vichar in Hindi Grammar

शब्द विचार ( Shabd Vichar in Hindi Grammar ) – शब्द  के भेद ( Shabd bhed ) – अर्थ के आधार पर शब्द के भेद, उत्पत्ति के आधार पर शब्द के भेद, रचना के आधार पर शब्द के भेद, प्रयोग के आधार पर शब्द के भेद

शब्द विचार (Shabd Vichar) – “वर्णों के मेल से बनी सार्थक ध्वनि को शब्द कहते है |”

जैसे –

कमल  =  क् + अ + म् + अ + ल + अ
पूजा  =  प् + ऊ + ज् + आ
‘वाय’     = व् + आ + य् + अ
चाय     =  च् + आ + य् + अ




शब्द के भेद ( Shabd bhed )

Shabd ke bhed in Hindi

अर्थ के आधार पर

  1. सार्थक शब्द
  2. निरर्थक शब्द

(1)   सार्थक शब्द →

जिन शब्दों का कोई निश्चित अर्थ होता है उन्हें सार्थक शब्द कहते हैं |
जैसे → कलम, कोयल, घर आदि |

(2)  निरर्थक शब्द →

जिन शब्दों का कोई नहीं अर्थ होता है, उन्हें निरर्थक शब्द कहते हैं |
जैसे → वाय – वोटी, वानी आदि |

एकार्थी

जिन शब्दों से केवल एक ही अर्थ का बोध होता है, उन्हें एकार्थी शब्द कहते हैं |
जैसे →
आभूषण = गहना
नृत्य = नाच
कथा = कहानी

अनेकार्थी शब्द

जिन शब्दों से एक से अधिक अर्थों का बोध होता है उन्हें अनेकार्थी शब्द कहते हैं |
जैसे →
कनक  =  गेहूँ, धतूरा, पलाश, सोना
कर    =  हाथ, किरण, टैक्स, सूँड़
आम   =  आम का फल, सर्वधारण, मामूली
अंक    =  गिनती के अंक, अध्याय, भाग्य, गोद, स्थान, चिन्ह, देह

पर्यायवाची शब्द

जिन शब्दों के अर्थ समान होते हैं, उन्हें पर्यायवाची शब्द कहते हैं |
जैसे →
गणेश   =  विनायक, गजानन, लंबोदर, गणपति|
कमल   =  जलज, पंकज, नीरज

विलोम

विपरीत अर्थ बताने वाले शब्दों को विलोम शब्द या विपरीतार्थक शब्द कहते है |
शब्द  = विलोम
अंधकार = प्रकाश
चेतन = अचेतन
सत्य = असत्य
अमृत  = विष

समानभासी शब्दयुग्म या श्रुतिसम भिन्नार्थक या समरूप भिन्नार्थक

वे शब्द जिनका उच्चारण समान प्रतीत होता है किन्तु उनका अर्थ व वर्तनी भिन्न होते हैं, ऐसे शब्दों को समानभासी शब्द – युग्म या श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द कहते हैं |

उत्पत्ति के आधार पर

(1) तत्सम शब्द
(2) तद्भव शब्द
(3) देशज शब्द
(4) विदेशज शब्द

तत्सम शब्द

‘तत्सम’ शब्द दो शब्दों के योग से बना है →
तत् + सम्
तत् = उस तथा
सम् = समान अर्थात् “उस (संस्कृत) के समान “
→ संस्कृत के वे शब्द जिनका प्रयोग हिंदी भाषा में ज्यों – का – त्यों किया जाता है, उन्हें तत्सम शब्द कहते हैं |
जैसे → अग्नि, जल, गृह, सूर्य, श्रृंगार आदि |

तद्भव शब्द

तद्भव = तत् +  भव
अर्थात् तत्   = “उस (संस्कृत) से
भव   = उत्पन्न या विकसित
→    संस्कृत के वे शब्द जिनका हिंदी में  रूप परिवर्तित हो गया उन्हें तद्भव शब्द कहते हैं |
जैसे
तत्समतद्भव
अग्नि – आग
अर्पण – अरपन
पुत्र – पूत
अश्रु – आँसू

देशज शब्द

जो शब्द स्थानीय या क्षेत्रीय प्रभाव से आवश्यकतानुसार हिंदी भाषा में आ गए हैं, वे देशज शब्द कहलाते हैं |
जैसे → डिबिया, लोटा, खिचड़ी, खटिया, थैला, पगड़ी, आदि |

विदेशी शब्द

जो शब्द विदेशी भाषाओं से हिंदी में आए हैं, उन्हें विदेशी शब्द कहते हैं |
जैसे →
अंग्रेजी भाषा → टेलीफोन, कॉलेज, स्टेशन, टेलर, फाइल
अरबी भाषा  → तारीख, दुनिया, शादी, हलवाई आदि
फ़ारसी भाषा → अखबार, जमीन, खजाना, गुलाब, जानवर
पुर्तगाली भाषा → आलू, अचार पपीता, चाली

रचना  के  आधार  पर  शब्द  के  भेद

(1) रूढ़ शब्द
(2) योगिक शब्द
(3) योगरूढ़ शब्द

रूढ़ शब्द

जिन शब्दों के सार्थक खंड या टुकड़े नहीं किये जा सकते है उन्हें रूढ़ शब्द कहते हैं |
जैसे →  (1) घर    = घ + र
(2) कलम  = क + ल + म
(3) रोटी   = रो + टी




योगिक शब्द

जिन शब्दों के सार्थक खंड या टुकड़े किये जा सकते है उन्हें योगिक शब्द कहते हैं |
→   योगिक शब्दों का निर्माण दो या दो से अधिक शब्दों या शब्दांशों के योग से होता है |

जैसे  →
अनाथालय  =  अनाथ + आलय  (घर)
घुड़दौड़ = घुड़ (घोड़ा) + दौड़
विधुतमापी = विधुत + मापी

योगरूढ़ → ऐसे शब्द जो यौगिक है, लेकिन वे अपने सामान्य अर्थ के स्थान पर कोई विशेष अर्थ प्रदान करते हैं, वे योगरूढ़ शब्द कहलाते हैं |

जैसे → पंकज = पंक + ज
कीचड़ में जो उत्पन्न होता है वह है – कमल
पीताम्बर = पीत + अंबर
पीले है वस्त्र जिसके वह है – “विष्णु”

नोट → योगरूढ़ शब्द में केवल बहुव्रीहि समास के उदाहरण ही आते हैं |

प्रयोग के आधार पर शब्द के भेद

(1) विकारी
(2) अविकारी

(1)   विकारी शब्द → जिन शब्दों के रूप में लिंग, वचन, काल, कारक आदि के कारण परिवर्तन हो जाता है, वे विकारी शब्द कहलाते हैं |

→   विकारी शब्द चार होते हैं –

(1) संज्ञा
(2) सर्वनाम
(3) विशेषण
(4) क्रिया

 संज्ञा =   

(1)   सब्जी = सब्जियाँ, सब्जियों
(2)  लकड़ी = लड़कियाँ, लड़कियों
सर्वनाम → तुम = तुम्हें – तुम्हारा
विशेषण → काला = काली, काले
मोटा = मोटी, मोटे
क्रिया →   पढ़ाया, पढ़ाई, पढ़ाए

(2)  अविकारी शब्द →

जिन शब्दों के रूप में लिंग, वचन, काला, कारक आदि के कारण कोई परिवर्तन नहीं होता है, वे अविकारी शब्द कहलाते हैं |
अविकारी शब्दों को चार भागों में बाँटा गया हैं –

(1)  क्रियाविशेषण
(2)  संबंधबोधक
(3)  समुच्चयबोधक
(4)  विस्मयादिबोधक

क्रियाविशेषण →

राधा बाहर बैठी हैं |
मोहन बाहर बैठा है |

संबंधबोधक

रेखा के साथ कमला आएगी |
मोहन के साथ वेदांत आएगा |

समुच्चयबोधक →

(1)  गीता और सीता पढ़ाई कर रही हैं |
(2)  राम और मोहन पढ़ाई कर रहे हैं |

विस्मयादिबोधक →

अरे! राधा गा रही हैं |
अरे! मोहन गा रहा है |




FAQs on Shabd Vichar in Hindi Grammar (शब्द विचार)

प्र.1. ‘काज’ शब्द का तत्सम रूप बताइए –
उत्तर = तत्सम = कार्य

प्र.2.  ‘कृष्ण’ शब्द का तद्.भव रूप बताइए –
उत्तर = तद्.भव रूप = किशन

प्र.3.  ‘कच्छप’ शब्द का रूप बताइए –
उत्तर = तत्सम

प्र.4.  रूढ़ शब्द किसे कहते हैं ?
उत्तर = जो शब्द परंपरानुसार प्रयोग किए जा रहे हैं और किसी विशेष अर्थ के लिए प्रसिद्ध हो गए है, उन्हें रूढ़ शब्द कहते हैं |

प्र.5.  ‘पीताबंर’ शब्द कैसा है ?
उत्तर = योगरूढ़ शब्द

प्र.6. ‘धनवान’ शब्द कैसा है ?
उत्तर = यौगिक शब्द

प्र.7.  प्रयोग के आधार पर शब्दों को कितने भागो में बाँटा है ?
उत्तर = दो भागों में –
(i) विकारी शब्द
(ii) अविकारी शब्द

Hindi Vyakaran Class 8 Notes

2 thoughts on “Shabd Vichar in Hindi Grammar”

  1. NICE COURSE OF THE HINDI SUBJECTS. OUR COURSE HELPS ME IN MY HINDI EXAM LIKE IF I HAD SCORED 79/80 IN MY SA1-
    SUMMATIVE ASSESMENT. THANKS ALOT!!!

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