Samas or Samas ke bhed

Samas or Samas ke bhed – Avyayibhav Samas, Tatpurush Samas, Dwand Samas, Bahuvrihi Samas, Karmadharaya Samas, Dvigu Samas

समास (Samas) – समास का अर्थ है → “संक्षिप्त” करना” अर्थात् छोटा करना

1. उस चन्द्रमा के समान मुखवाली को बुलाओ |
2. उस “चंद्रमुखी” को बुलाओ | “दो या अधिक शब्दों के मेल से संक्षिप्त शब्द बनाने की क्रिया को समास कहते है |”

सामासिक पद / समस्तपद→

“समास बनाने की प्रक्रिया से जो नया शब्द बनता है, उसे सामासिक पद या समस्तपद कहते हैं |”
जैसे → “महान है जो पुरुष” = “महापुरुष”

समास-विग्रह / विग्रह

→ समस्तपद/सामासिक पद को तोड़कर उसे मूल रूप में लिखने को समास विग्रह या विग्रह कहते है |
जैसे→ 1. महापुरुष = महान है जो पुरुष
2. हवन – सामग्री =  हवन के लिए सामग्री




पूर्वपद तथा उत्तरपद

पूर्वपद → जो शब्द पहले आता है वह पूर्वपद कहलाता है |
उत्तरपद → जो शब्द बाद में आता है, वह उत्तरपद कहलाता है |
जैसे→ कृष्ण को अर्पण = कृष्णार्पण
इसमें दो पद है→
(1)  कृष्ण
(2)  अर्पण

पूर्वपद → कृष्ण
उत्तरपद → अर्पण

समास के भेद ( Samas ke bhed )

(1)  अव्ययीभाव समास (Avyayibhav Samas)
(2)  तत्पुरुष समास (Tatpurush Samas)
(3)  द्वंद्व समास (Dwand Samas)
(4)  बहुब्रीहि समास (Bahuvrihi Samas)
(5)  कर्मधारय समास (Karmadharaya Samas)
(6)  द्विगु समास (Dvigu Samas)

अव्ययीभाव समास (Avyayibhav Samas)

जिस समास में पूर्वपद प्रधान हो और अव्यय हो, उसे अव्ययीभाव समास (Avyayibhav Samas) कहते हैं |
जैसे → यथाशक्ति = शक्ति के अनुसार
यथासंभव = जैसा संभव हो
प्रतिदिन = हर दिन / प्रत्येक दिन, दिन – दिन
प्रतिक्षण = हर क्षण

तत्पुरुष समास (Tatpurush)

जिस समास में दूसरा पद प्रधान होता है, उसे तत्पुरुष समास कहते हैं |
→   तत्पुरुष समास को बनाते समय शब्दों के बीच के कारक चिन्ह हटा दिए जाते हैं |
जैसे  → पूजा के लिए घर = पूजाघर

तत्पुरुष समास के भेद 

1. कर्म तत्पुरुष
2. करण तत्पुरुष
3. संप्रदान तत्पुरुष
4. अपादान तत्पुरुष
5. संबंध तत्पुरुष
6. अधिकरण तत्पुरुष

कर्म तत्पुरुष → “को”

जैसे
समस्तपद – विग्रह
परलोकगमन – परलोक को गमन
धनप्राप्त – धन को प्राप्त
स्वर्गगामी – स्वर्ग को जाने वाला

करण तत्पुरुष → ‘से’, ‘द्वारा’

समस्तपद – विग्रह
तुलसीकृत – तुलसी द्वारा कृत
मनचाहा – मन से चाहा
ईश्वरदत्त – ईश्वर द्वारा दिया हुआ

संप्रदान तत्पुरुष → “के लिए”

समस्तपद – विग्रह
परीक्षा-भवन  – परीक्षा के लिए भवन
डाकघर – डाक के लिए घर
मालगाड़ी – माल के लिए गाड़ी

अपादान तत्पुरुष → “से” (अलग होने का भाव)

समस्तपद – विग्रह
देशनिकाला – देश से निकाला
बंधनमुक्त – बंधन से मुक्त
पापमुक्त – पाप से मुक्त

संबंध तत्पुरुष → का / की / के

समस्तपद – विग्रह
राजमहल – राजा का महल
गंगाजल – गंगा का जल
सूर्यपुत्र – सूर्य का पुत्र

अधिकरण तत्पुरुष → “में”/”पर”

समस्तपद – विग्रह
घुड़सवार – घोड़े पर सवार
दहीबड़ा – दही में डूबा बड़ा
पेटदर्द – पेट में दर्द

द्वंद्व समास (Dwand)

जिस समास में दोनों पद प्रधान होते हैं, उसे द्वंद्व समास कहते हैं |
→   इसके दोनों पद योजक चिन्ह द्वारा जुड़ें होते है |
→   लेकिन समास होने पर योजक चिन्ह का लोप हो जाता है |

जैसे
विग्रह – समस्तपद
माता और पिता – माता पिता
यश और अपयश – यश-अपयश
ठंडा या गरम – ठंडा-गरम
उतार और चढ़ाव – उतार – चढ़ाव

कर्मधारय समास ( Karmadharaya Samas )

जिस समास में एक पद विशेषण तथा दूसरा पद विशेष्य हो या एक पद उपमेय तथा दूसरा पद उपमान हो, उसे कर्मधारय समास (Karmadharaya Samas) कहते है |

जैसे → पीताम्बर = पीत है जो अम्बर
चरणकमल = कमल के सामान चरण
महात्मा = महान है जो आत्मा
नीलगगन = नीला गगन
महापुरुष = महान है जो पुरुष
चंद्रमुख = चंद्रमा जैसा मुख

द्विगु समास (Dvigu)

जिस समास का पहला पद संख्यावाचक हो तथा पूरा सामासिक पद किसी समूह का बोध कराता हो वह द्विगु समास कहलाता है |

जैसे

समस्तपद – विग्रह
नवरत्न – नौ रत्नों का समूह
चौराहा  – चार राहों का समूह
दोपहर – दो पहरों का समूह
सतसई – सात सौ का समाहार

बहुव्रीहि समास ( Bahuvrihi Samas )

जिस समास में दोनों पद प्रधान न होकर कोई अन्य पद प्रधान होता है, वह बहुव्रीहि समास (Bahuvrihi Samas) कहलाता है |

जैसे
गोपाल = गायों का पालक है जो वह है – कृष्ण
लंबोदर = लंबा है उदर जिसका – गणेश
महावीर = महान है जो वीर – हनुमान

बहुव्रीहि तथा कर्मधारय समास में अंतर

→   कर्मधारय समास के दोनों पदों में विशेषण – विशेष्य या उपमेय – उपमान का संबंध होता है |
→   जबकि बहुव्रीहि समास के दोनों पद मिलकर किसी तीसरे पद की ओर संकेत करते हैं|

जैसे

  1. पीताम्बर → पीत है जो अंबर (कर्मधारय समास)
    पीताम्बर → पीत है अंबर जिसके – विष्णु
  2. महावीर → महान वीर (कर्मधारय समास)
    महावीर → महान वीर है जो – हनुमान (बहुव्रीहि समास)

बहुव्रीहि और द्विगु समास में अंतर

द्विगु समास में पूर्वपद संख्यात्मक होता है और वह दूसरे पद का विशेषण होता है | बहुव्रीहि में दोनों पद मिलकर तीसरे पद की ओर संकेत करते हैं |

उदाहरण –

FAQs on Samas or Samas ke bhed

प्र.1.  समास का शाब्दिक अर्थ बताइए –      

उत्तर = संक्षिप्त करना

प्र.2.  समास किसे कहते हैं ?  

उत्तर = दो या अधिक शब्दों के मेल से संक्षिप्त शब्द बनाने की क्रिया को समास कहते हैं |

प्र.3.  समास के कितने भेद होते हैं ?     

उत्तर = 6 भेद होते हैं |

प्र.4.  ‘रातोंरात’ शब्द में कौनसा समास हैं ?      

उत्तर = अव्ययीभाव समास

प्र.5. ‘गिरहकट’ उक्त समस्तपद का समास विग्रह कीजिए –   

उत्तर = गिरह को काटने वाला

प्र.6.  ‘चौमासा’ उक्त समस्तपद का विग्रह कीजिए –     

उत्तर = चार मासों का समूह

प्र.7.  ‘पंकज’ शब्द में कौनसा समास हैं ?           

उत्तर = बहुव्रीहि समास

प्र.8.  ‘यश – अपयंश’ उक्त समस्तपद में कौनसा समास है ?      

उत्तर = द्वंद्व समास

प्र.9.  ‘मृगनयनी’ समस्तपद का समास विग्रह कीजिए –       

उत्तर = मृग जैसे नयनों वाली

प्र.10. तत्पुरुष समास में कौनसा पद प्रधान होता है ?   

उत्तर = उत्तरपद

Hindi Vyakaran Class 7 Notes

 

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