क्रिया – क्रिया के भेद

क्रिया – क्रिया के भेद (Kriya – Kriya ke bhed in Hindi) के अंतर्गत हम – क्रिया की परिभाषा, क्रिया के उदहारण, क्रिया के भेद – कर्म के आधार पर क्रिया के भेद – सकर्मक क्रिया और अकर्मक क्रिया, रचना के आधार पर क्रिया के भेद – सामान्य क्रिया, संयुक्त क्रिया, नामधातु क्रिया, प्रेरणार्थक क्रिया, पूर्वकालिक क्रिया के बारे में पड़ेगे |

क्रिया की परिभाषा – जिन शब्दों से किसी कार्य के करने या होने का पता चलता है उन्हें क्रिया कहते हैं |

कबूतर दाना चुग रहे हैं |
बच्चे पटाखे चला रहे हैं |
बादलों में बिजली चमक रही है |
वर्षा हो रही है |

धातु ( Dhatu )

→   क्रिया के मूल रूप को धातु कहते हैं |

क्रिया के भेद (Kriya ke bhed in Hindi)

कर्म के आधार पर क्रिया के भेद (Karm ke aadhar par Kriya ke bhed in Hindi)

(1)  अकर्मक क्रिया ( Akarmak Kriya )
(2)  सकर्मक क्रिया ( Sakarmak Kriya )

अकर्मक क्रिया ( Akarmak Kriya )

“अकर्मक” शब्द का अर्थ है→ “बिना कर्म के”
→   जिस क्रिया के कार्य का फल कर्ता पर पड़ता है, उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं |

जैसे→          

राधा सो रही है |
मोहन हँसने लगा |
बच्चे जा रहे हैं |
पक्षी उड़ते हैं |

सकर्मक क्रिया ( Sakarmak Kriya )

जिस क्रिया के कार्य का फल कर्म पर पड़ता है, उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं |

जैसे

प्रताप गाड़ी चला रहा है |
पिताजी समाचार पत्र पढ़ रहे हैं |

अकर्मक क्रिया तथा सकर्मक क्रिया की पहचान

क्रिया के साथ “क्या”, किसे तथा “किसको” प्रश्न करें पर यदि उत्तर नहीं मिलता है, तो वह अकर्मक क्रिया होती है |

नोट – यदि क्रिया के साथ क्या, किसे, किसको प्रश्न करने पर यदि उत्तर में “कर्ता” की प्राप्ति होती है तो भी क्रिया अकर्मक होती है |

जैसे

→   दादाजी हँसते हैं |

प्रश्न -‘क्या’ हँसते हैं  ?
उत्तर – दादा जी (कर्ता)

→ तरुण भागता है |

प्रश्न – ‘क्या’ भागता है |
उत्तर – तरुण (कर्ता)

सकर्मक क्रिया की पहचान

→   वाक्य में क्रिया शब्द से पहले “क्या”, किसे तथा किसको प्रश्न करने पर यदि उत्तर मिल जाता है, तो क्रिया सकर्मक होती है |

जैसे

(1) वैशाली ने खिलौना खरीदा |

प्रश्न  – ‘क्या’ खरीदा ?
उत्तर  –  खिलौना (कर्म)

(2)  दीदी आम लाईं|

प्रश्न  –  ‘क्या’ लाईं?
उत्तर  – आम (कर्म)

सकर्मक क्रिया के भेद
  • एककर्मक क्रिया
  • द्विकर्मक क्रिया

एककर्मक क्रिया

जिस क्रिया के साथ केवल एक कर्म होता है, उसे एककर्मक क्रिया कहते हैं |

जैसे →   पिताजी पत्र लिखते है

प्रश्न  – ‘क्या’ लिखते है ?
उत्तर  – पत्र

मोहन दूध पीता है |

प्रश्न  – ‘क्या’  पीता है  ?
उत्तर  – दूध

द्विकर्मक क्रिया

जिस क्रिया के दो कर्म होते हैं, उसे द्विकर्मक क्रिया कहते हैं |

नोट → वाक्य में क्रिया शब्द से पहले “क्या” शब्द लगाकर प्रश्न करने पर प्रत्यक्ष कर्म की प्राप्ति होती है, जो निर्जीव होता है,

→   जबकि वाक्य में क्रिया शब्द से पहले “किसे” या “किसको” शब्द लगाकर प्रश्न करने पर अप्रत्यक्ष कर्म की प्राप्ति होती है, जो सजीव होता है |

इनमें पहला “मुख कर्म” और दूसरा “गौण कर्म” कहलाता है |

जैसे – (1) राधा ने मोहन को नाश्ता कराया |

प्रश्न – “क्या” कराया ?
उत्तर – “नाश्ता” (निर्जीव कर्म)

प्रश्न – “किसको” कराया ?
उत्तर – मोहन को  (सजीव कर्म)

(2) छात्र ने अध्यापिका को कॉपी दिखाई |

प्रश्न – “क्या” दिखाई ?
उत्तर – “कॉपी” (निर्जीव कर्म )

प्रश्न – “किसको” दिखाई ?
उत्तर – अध्यापिका को (सजीव कर्म)

रचना के आधार पर क्रिया के भेद (Rachna ke aadhar par Kriya ke bhed in Hindi)

(1)  सामान्य क्रिया ( Samanya Kriya )
(2)  संयुक्त क्रिया ( Sanyukt Kriya )
(3)  नामधातु क्रिया ( Nam Dhatu Kriya )
(4)  प्रेरणार्थक क्रिया ( Prernarthak Kriya )
(5)  पूर्वकालिक क्रिया ( Purvakalik Kriya )
(6) अपूर्ण क्रिया ( Apurn Kriya )
(7) रंजक क्रिया ( Ranjak Kriya )

सामान्य क्रिया ( Samanya Kriya )

जब किसी वाक्य में एक ही क्रिया का प्रयोग हो तो वह सामान्य क्रिया कहलाती है |

जैसे

राहुल आया
पिताजी ने पत्र लिखा |

संयुक्त क्रिया (Sanyukt Kriya )

जिस वाक्य की दो या दो से अधिक क्रियाएँ मिलकर एक ही कार्य पूर्ण करती है, उन्हें संयुक्त क्रिया कहते है |

जैसे

रेलगाड़ी चल पड़ी
बढ़ई मेंज बना रहा है |

→   संयुक्त क्रिया में पहली क्रिया मुख्य क्रिया होती है | तथा दूसरी क्रिया सहायक क्रिया होती है |

चल   =    मुख्य क्रिया
बना   =    मुख्य क्रिया
पड़ी   =    सहायक क्रिया
रहा है  =    सहायक क्रिया

नामधातुक्रिया( Nam dhatu Kriya )

→   संज्ञा, सर्वनाम और विशेषण शब्दों से बनने वाली क्रियाओं को “नामधातु क्रिया” कहते हैं |

(1)  संज्ञा से नामधातु क्रिया
हाथ  +  इयाना =    हथियाना
शर्म  +  आना   =    शर्माना

सर्वनाम से नामधातु क्रिया
अपना  +    आना  =    अपनाना

विशेषण से नामधातु क्रिया
गरम    +   आना     =    गरमान
साठ    +  इयाना    =    सठियाना

प्रेरणार्थक क्रिया ( Prernarthak Kriya )

प्रेरणार्थक क्रिया के भेद (Prernarthak Kriya ke bhed)

(1)  प्रथम प्रेरणार्थक
(2)  द्वितीय प्रेरणार्थक

प्रथम प्रेरणार्थक (प्रत्यक्ष प्रेरणार्थक)

जैसे –  माँ बच्चे को अनार खिलाती है |

→   इस क्रिया के साथ “आना” प्रत्यय जोड़ दिया जाता है |

पढ़ + आना = पढ़ाना
चल + आना = चलाना
कट + आना = कटाना

द्वितीय प्रेरणार्थक (अप्रत्यक्ष प्रेरणार्थक)

जैसे

नौकर माली से पत्र लिखवाता है |
→   महेश नाई से बाल कटवाता है |

→   इसमें धातु शब्दों के अंत में “वाना” प्रत्यय लगाकर द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया के शब्दों का निर्माण किया जाता है |

जैसे

चल  + वाना  =  चलवाना
कट  + वाना  =  कटवाना
लिख + वाना  =  लिखवाना

नोट → सभी प्रेरणार्थक क्रियाएँ सकर्मक होती है |

साधारण क्रिया और प्रेरणार्थक क्रियाओं में अंतर

–    बच्चा दूध पीता है | (साधारण क्रिया)
माँ बच्चे को दूधपिलाती है | (प्रेरणार्थक क्रिया)
माँ नीतू से बच्चे को दूध पिलवाती है | (द्वितीय प्रेरणार्थक)

अन्य उदाहरण

पूर्वकालिक क्रिया ( Purvakalik Kriya )

मुख्य क्रिया से पहले होने वाली क्रिया को पूर्वकालिक क्रिया कहते है |

जैसे
(1)  रमेश ने खेलकर टी. वी. देखा |
(2)  राम पढ़कर सो गया |

नोट – मूल धातु में “कर” अथवा “करके” लगाकर पूर्वकालिक क्रियाएँ बनाई जाती है |

अपूर्ण क्रिया ( Apurn Kriya )

अपूर्ण क्रिया का अर्थ है – “जो पूरा नहीं है”|

→   ऐसी क्रियाएँ जो वाक्य का अर्थ पूर्णत: स्पष्ट नहीं कर पाती, अपूर्ण क्रिया कहलाती हैं |

जैसे

माता जी हैं |
वेदांत है |
सीता थी |

जैसे –

माता जी अध्यापिका हैं |
वेदांत डॉक्टर है |
सीता छात्रा थी |

रंजक क्रिया ( Ranjak Kriya )

→   कुछ सहायक क्रियाएँ मुख्य क्रिया के अर्थ में विशेषता उत्पन्न करने का काम करती हैं, इन्हें रंजक क्रिया कहते है |

जैसे

सुनील आ गया
प्रताप खा चुका |
किरण हँसने लगी
महेश गा सकता है |

→   रंजक क्रिया संयुक्त क्रियाए के साथ ही प्रयुक्त होती है |

Hindi Vyakaran Class 8 Notes

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