समास और समास के भेद – अव्ययीभाव, तत्पुरुष, कर्मधारय, द्विगु, द्वंद्व, बहुव्रीहि
समास का शाब्दिक अर्थ है → “संक्षिप्त”
परिभाषा – अनेक शब्दों को संक्षिप्त करके नया शब्द बनाने की प्रक्रिया को समास कहते है |
जैसे → देश के लिए भक्ति = देशभक्ति
→ राम की भक्ति = रामभक्ति
सामासिक पद
→ अनेक शब्दों को संक्षिप्त करने की प्रक्रिया से बना शब्द सामासिक पद या समस्तपद कहलाता है |
जैसे → धन से रहित = धनरहित
राजा का कुमार = राजाकुमार
समास विग्रह
जैसे → चंद्रमुख = चंद्रमा के समान मुख |
प्राणप्रिय = प्राण के समान प्रिय
→ सामासिक पद को अलग करने की विधि को समास विग्रह कहते हैं |
समास के भेद ( Samas ke bhed )
- अव्ययीभाव समास ( Avyay bhav Samas )
- तत्पुरुष समास ( Tatpurush Samas )
- कर्मधारय समास ( Karmadharaya Samas )
- द्विगु समास ( Dvigu Samas )
- द्वंद्व समास ( Dwand Samas )
- बहुव्रीहि समास ( Bahuvrihi Samas )
अव्ययीभाव समास
→ जिस समास का पहला पद अव्य होता है और प्रधान होता है, उसे अव्ययीभाव समास कहते है |
जैसे → प्रतिमास = प्रत्येक मास
भरपेट = पेट भर कर
यथानियम = नियम के अनुसार
द्वंद्व समास
→ जिस समास के दोनों पद प्रधान होते हैं, उसे द्वंद्व समास कहते हैं |
जैसे → अन्न-जल = अन्न और जल
छोटा – बड़ा = छोटा या बड़ा
राधा – कृष्ण = राधा और कृष्ण
तत्पुरुष समास
→ जिस समास में दूसरा पद प्रधान हो और समास करने पर कारक चिह्न का लोप हो जाए उसे तत्पुरुष समास कहते हैं |
तत्पुरुष समास के भेद
- कर्म तत्पुरुष
- करण तत्पुरुष
- संप्रदान तत्पुरुष
- अपादान तत्पुरुष
- संबंध तत्पुरुष
- अधिकरण तत्पुरुष
कर्म तत्पुरुष → “को”
जैसे → चित्तचोर = चित्त को चुराने वाला
मनोहर = मन को हरने वाला
स्वर्गत = स्वर्ग को गया हुआ
करण तत्पुरुष → “से” अथवा “द्वारा”
जैसे → धनरहित = धन से रहित
वाल्मीकिरचित = वाल्मीकि द्वारा रचित
संप्रदान तत्पुरुष → के लिए
जैसे → देशभक्ति = देश के लिए भक्ति
सत्याग्रह = सत्य के लिए आग्रह
अपादान तत्पुरुष → “से”
जैसे → भयमुक्त = भय से मुक्त
विधाहीन = विधा से हीन
संबंध तत्पुरुष→ “का, के, की”
जैसे → सेनानायक = सेना का नायक
यमुनातट = यमुना का तट
राजपुत = राजा का पुत्र
अधिकरण तत्पुरुष→ “मे” या “पर”
जैसे → नीतिकुशल = नीति में कुशल
दानवीर = दान में वीर
कर्मधारय समास
जैसे →
चंद्रमुख = चंद्र जैसा मुख
उपमान = चंद्र
उपमेय = मुख
महापुरुष = महान है जो पुरुष
विशेषण = महा (महान)
विशेष्य = पुरुष
जिस समास के पहले तथा दूसरे पद में विशेषण, विशेष्य अथवा उपमान उपमेय का संबंध होता है, उसे कर्मधारय समास कहते हैं |
1. पूर्व (पहला) पद विशेषण तथा उत्तर (दूसरा) पद विशेष्य →
समस्तपद – नीलकमल
विशेषण – नील
विशेष्य – कमल
समास विग्रह – नीला है जो कमल
समस्तपद – विशेषण
श्वेतपत्र – श्वेत (सफेद)
विशेष्य – समास विग्रह
पत्र – श्वेत है जो पत्र
2. पूर्व पद विशेष्य तथा उत्तर पद विशेषण →
समस्तपद – ऋषिप्रवर
विशेष्य – ऋषि
विशेषण – प्रवर
समास विग्रह – ऋषि में जो प्रवर (श्रेष्ठ) है
3. पूर्व पद उपमान और उत्तर पद उपमेय →
बहुव्रीही समास
जिस समास में कोई पद प्रधान नहीं होता है एवं दोनों पद मिलकर किसी अन्य पद की ओर संकेत करते हैं, वहाँ बहुव्रीही समास होता है |
जैसे →
निशाचर = निशा में विचरण करने वाला अर्थात् राक्षस
चंद्रशेखर = चंद्र है शिखर पर जिसके अर्थात् शिव
चक्रपाणि = चक्र है पाणि जिसके अर्थात् विष्णु
द्विगु समास
जिस समास में पहला पद संख्यावाची होता है, तथा समस्तपद समाहार यानी समूह का बोध कराता है, उसे द्विगु समास कहते हैं |
जैसे →
पंचवटी = पाँच वटों का समूह
अष्टग्रह = आठ ग्रहों का समूह
सप्तर्षि = सात ऋषियों का समूह
कर्मधारय और बहुव्रीहि समास में अंतर→
→ कर्मधारय समास के दोनों पदों विशेषण – विशेष्य या उपमेय – उपमान का संबंध होता है |
→ बहुव्रीहि समास के दोनों पद मिलकर किसी अन्य पद की ओर संकेत करते हैं |
जैसे →
कर्मधारय समास→
समस्त पद = समास विग्रह
महात्मा = महान आत्मा
बहुव्रीहि समास→
समस्त पद = समास विग्रह
महात्मा = महान है आत्मा जिसकी (ऐसा व्यक्ति)
कर्मधारय समास
नीलकंठ = नीला कंठ
बहुव्रीहि समास
नीलकंठ = नीला है कंठ जिसका (शिव)
द्विगु और बहुव्रीहि समास में अंतर →
द्विगु समास → द्विगु समास का पहला पद संख्यावाची विशेषण होता है तथा समस्तपद समूह का बोध कराता है |
बहुव्रीहि समास → बहुव्रीहि समास के दोनों पद मिलकर किसी तीसरे पद की ओर संकेत करते है |
जैसे →
द्विगु समास
चतुर्भुज = चार भुजाओं का समूह
बहुव्रीहि समास
चतुर्भुज = चार हैं भुजाएँ जिसकी (विष्णु)
द्विगु समास
त्रिलोचन = तीन लोचनों का समूह
बहुव्रीहि समास
त्रिलोचन = तीन हैं लोचन जिसके – (शिव)
FAQs on Samas or Samas ke bhed
प्र.1. ‘बिना नाम के’ उक्त शब्दों के समस्तपद बनाइए –
उत्तर = बेनाम
प्र.2. ‘जितना शीघ्र हो’ उक्त शब्दों का समस्तपद बनाइए –
उत्तर = यथाशीघ्र
प्र.3. ‘अनाथालय’ उक्त समस्तपद में समास का नाम बताइए –
उत्तर = संप्रदान तत्पुरुष
प्र.4. ‘यमुनातट’ उक्त समस्तपद का समास विग्रह कीजिए –
उत्तर = यमुना का तट
प्र.5. ‘सेनानायक’ उक्त समस्तपद में समास बताइए –
उत्तर = संबंध तत्पुरुष
प्र.6. ‘नवरात्रि’ उक्त समस्तपद का समास विग्रह कीजिए –
उत्तर = नौ रात्रियों का समाहार
प्र.7. लाभ या हानि उक्त शब्दों का समस्तपद बनाइए –
उत्तर = लाभ – हानि
प्र.8. ‘वीणापाणि’ उक्त समस्तपद में समास बताइए –
उत्तर = बहुव्रीहि समास
Hindi Vyakaran Class 8 Notes
- संज्ञा – संज्ञा के भेद
- सर्वनाम – सर्वनाम के भेद
- उपसर्ग – उपसर्ग के प्रकार
- कारक – कारक के भेद
- क्रिया ( अकर्मक क्रिया, सकर्मक क्रिया )
- काल और काल के भेद
- विशेषण और विशेषण के भेद
- वचन – वचन के भेद
- विराम चिह्न – विराम चिह्न के भेद
- लिंग – लिंग के भेद
- मुहावरे और लोकोक्तियाँ
- प्रत्यय – प्रत्यय के प्रकार
- अव्यय (अविकारी)
- वर्तनी (Vartani)
- शब्द विचार (Shabd Vichar)
- शब्द भेद – अर्थ के आधार पर
- वाक्य – संबंधि अशुद्धिशोधन
- वाक्य रचना – वाक्य के भेद
- समास – समास के भेद (Samas or Samas ke bhed)
- संधि – संधि के भेद (Sandhi or Sandhi ke bhed)
- पद-परिचय (Pad Parichay in Hindi Vyakaran Class 10)
- अलंकार – अलंकार के भेद (Alankar or Alankar ke bhed)
- वाच्य – वाच्य के भेद (Vachya or Vachya ke bhed)