कारक और कारक के प्रकार (Karak or Karak ke Prakar in Hindi) – कर्ता कारक (ने) – (Karta Karak), कर्म कारक (‘को’) – Karm Karak, करण कारक (Karan Karak), संप्रदान कारक (Sampradan Karak), अपादान कारक “से” (Apadan Karak), संबंध कारक (का, के, की, रा, रे, री) – (Sambandh Karak), अधिकरण कारक (Adhikaran Karak), संबोधन कारक (Sambodhan Karak)
कारक (Karak) – कारक का शाब्दिक अर्थ है – क्रिया को करने वाला |
जैसे →
मोहन ने कहानी सुनाई |
राधा ने कविता लिखी |
नीलम घर से निकली |
वैशाली का चश्मा गिरा
पेड़ पर बंदर बैठा है |
→ संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से उसका संबंध वाक्य के अन्य शब्दों से विशेषकर क्रिया के साथ जाना जाता है, उसे कारक कहते हैं |
→ कारक के चिह्न को परसर्ग या विभक्ति कहते हैं |
कारक के प्रकार ( Karak ke Prakar )
कर्ता कारक (ने) – (Karta Karak)
‘कर्ता’ का शाब्दिक अर्थ होता है – “करने वाला”
जैसे →
(1) सीता ने गाना गाया |
(2) कृष्ण ने बाँसुरी बजाई |
(3) वेदांत सो रहा है |
(4) रेखा खाना खा रही है |
→ संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया करने वाले का पता चलता है, उसे “कर्ता कारक” कहते है |
नोट → जब क्रिया सकर्मक हो तथा भूतकाल में हो तभी परसर्ग “ने” का प्रयोग किया जाता है |
जैसे →
सीमा गाना गा रही है | (वर्तमान काल)
पिताजी कल फोन करेगें | (भविष्यत काल)
बच्चा बहुत रोया | (भूतकाल, अकर्मक क्रिया)
तरुण ने खाना खाया | (भूतकाल, सकर्मक क्रिया)
कर्म कारक (‘को’) – Karm Karak
→ वाक्य की क्रिया का फल जिस संज्ञा या सर्वनाम पर पड़ता है उसे कर्म कारक कहते हैं |
→ कर्म कारक की विभक्ति “को” है |
जैसे → माँ ने रेखा को लड्डू खिलाए
जैसे → गीता ने पत्र लिखा |
प्रश्न – क्या लिखा ?
उत्तर = ‘पत्र’
जैसे → राम ने पिता जी को पत्र लिखा |
प्रश्न – क्या लिखा ?
उत्तर = ‘पत्र’
प्रश्न – किसको लिखा ?
उत्तर = पिताजी को
‘पत्र’ = मुख्य कर्म
“पिताजी” = गौण कर्म
करण कारक (Karan Karak)
“करण” का शाब्दिक अर्थ है – “साधन” |
→ जिस साधन द्वारा क्रिया की जाती है, उसे करण कारक कहते हैं
→ करण कारक की विभक्ति “से” तथा “के द्वारा” है |
जैसे →
(1) राम साइकिल से बाजार गया |
(2) रेखा चाकू से फल काटती है |
(3) मोहन चम्मच से चीनी घोलता है |
जैसे →
(1) डाक द्वारा सामान भेज दिया है |
(2) वेदांत ने पत्र के द्वारा सूचना भेजी |
संप्रदान कारक (Sampradan Karak)
वाक्य में कर्ता जिसके लिए कोई कार्य करता है या जिसे कुछ देता है, उस पद को संप्रदान कारक कहते हैं |
जैसे →
(1) दीदी वेदांत के लिए खिलौने लाई |
(2) गीता ने सीता को किताब दी |
→ संप्रदान कारक में के लिए तथा ‘को’ परसर्ग या विभक्ति का प्रयोग होता है |
नोट → संप्रादन कारक में हमेशा दान का भाव अर्थात किसी को कुछ दिए जाने का भाव होता है |
जैसे →
(1) राम ने गरीब को वस्त्र दिए |
(2) साक्षी ने अनिता के लिए खाना दिया |
→ कर्म कारक तथा संप्रदान कारक का परसर्ग “को” है |
→ कर्म कारक में क्रिया का फल कर्म पर पड़ता है, और कर्म के साथ ‘को’ आता है |
→ संप्रदान कारक में कर्ता जिसे कुछ देता है, उस शब्द के साथ “को” आता है |
जैसे →
(1) गीता ने बिल्ली को पुचकारा | (कर्म कारक, बिल्ली को)
गीता ने बिल्ली को दूध दिया | (संप्रदान कारक, बिल्ली को)
(2) अध्यापक ने छात्र को पढ़ाया | (कर्म कारक, छात्र को)
अध्यापक ने छात्र को पुस्तके दी | (संप्रदान कारक, छात्र को)
अपादान कारक “से” (Apadan Karak)
वाक्य में जिस पद से अलग होने का भाव प्रकट हो, वह पद अपादान कारक होता है |
जैसे →
- गंगा हिमालय से निकलती है |
- पेड़ से पत्ते गिरते हैं
→ अपादान कारक की विभक्ति या परसर्ग “से” है |
→ जिन शब्दों से घृणा, तुलना, भय, द्वेष, ईष्या, शर्माने आदि का भाव प्रकट हो वहाँ भी अपादान कारक होता है |
जैसे →
- राम मक्खियों से घृणा करता है |
- चूहा बिल्ली से डरता है |
- रेखा राधा से सुंदर है |
करण और अपादान कारक में अंतर
→ करण तथा अपादान कारक दोनों का परसर्ग “से” है |
→ करण कारक में “से” साधन के रूप में प्रयोग किया जाता है |
→ अपादान कारक में “से” अलग होने, तुलना होने या भय होने का भाव देता है |
जैसे →
- दीदी ने बच्चे को चम्मच से दूध पिलाया | (करण कारक, “चम्मच से”)
- दीदी के हाथ से दूध की कटोरी गिर गई | (अपादान कारक, हाथ से)
- रमा ने कैंची से बाल काटे (करण कारक, कैंची से)
- रमा के हाथ से कैंची गिर गई | (अपादान कारक, हाथ से)
संबंध कारक (का, के, की, रा, रे, री) – (Sambandh Karak)
संज्ञा या सर्वनाम शब्द के जिस रूप से उसका वाक्य में आए अन्य संज्ञा / सर्वनाम शब्दों से संबंध ज्ञात हो, उसे संबंध कारक कहते हैं |
जैसे
- नीलम के पिताजी अध्यापक है |
- राधा की पुस्तक वहाँ है |
- वेदांत का भाई आ गया |
→ संबंध कारक की विभक्तियाँ का, के, की, ना, ने, नी, रा, रे, री हैं |
अधिकरण कारक (Adhikaran Karak)
जिस पद से क्रिया से आधार का बोध होता है वह पद अधिकरण कारक होता है |
जैसे →
- कमल तालाब में खिलते हैं |
- गैस पर खाना पक रहा है |
विशेष → जहाँ समय का बोध हो वहाँ “को” परसर्ग होने पर भी वह अधिकरण कारक होता है |
जैसे → मोहन शाम को घर आएँगा |
संबोधन कारक (Sambodhan Karak)
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से बुलाने या पुकारने का बोध हो, उसे संबोधन कारक कहते है |
जैसे →
- अरे मोहन ! पानी तो पिला दे |
- हे भगवान ! अब क्या होगा ?
जैसे → अरे, हे, अजी, ओ, आदि |
जैसे →
- बच्चों ! पढ़ाई कर लो |
- भाइयो और बहनों ! ध्यान से सुनिए |
विशेष → संबोधन कारक में संज्ञा शब्दों के बाद संबोधन चिह्न (!) भी लगाया जाता है |
FAQs on Karak or Karak ke prakar
प्र.1. कारक कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर = आठ प्रकार
प्र.2. ‘अरे, रे, हे’ किस कारक के परसर्ग है ?
उत्तर = संबोधन
प्र.3. चम्मच से पाउडर घोलो | उक्त रेखांकित शब्द में कारक बताइए –
उत्तर = करण कारक
प्र.4. रेखा कुत्ते से डरती है | उक्त रेखांकित शब्द में कारक बताइए –
उत्तर = अपादान कारक
प्र.5. गोलू ने कुत्ते को पुचकारा | उक्त रेखांकित शब्द में कारक बताइए –
उत्तर = कर्म कारक
प्र.6. मोहन ने श्याम को स्वेटर दिया | उक्त रेखांकित शब्द में कारक बताइए –
उत्तर = संप्रदान कारक
प्र.7. नाई ने कैंची से बाल काटे | उक्त रेखांकित शब्द में कारक बताइए –
उत्तर = करण कारक
प्र.8. हे भगवान ! यह क्या हो गया | उक्त रेखांकित शब्द में कारक बताइए –
उत्तर = संबोधन कारक
प्र.9. करण कारक किसे कहते हैं ?
उत्तर = कार्य को करने में कर्ता जिस साधन की सहायता लेता है, उसे करण कारक कहते हैं |
प्र.10. अधिकरण कारक किसे कहते हैं ?
उत्तर = जिस पद से क्रिया के आधार का बोध होता है वह पद अधिकरण कारक होता है |
Hindi Vyakaran Class 8 Notes
- संज्ञा – संज्ञा के भेद
- सर्वनाम – सर्वनाम के भेद
- उपसर्ग – उपसर्ग के प्रकार
- कारक – कारक के भेद
- क्रिया ( अकर्मक क्रिया, सकर्मक क्रिया )
- काल और काल के भेद
- विशेषण और विशेषण के भेद
- वचन – वचन के भेद
- विराम चिह्न – विराम चिह्न के भेद
- लिंग – लिंग के भेद
- मुहावरे और लोकोक्तियाँ
- प्रत्यय – प्रत्यय के प्रकार
- अव्यय (अविकारी)
- वर्तनी (Vartani)
- शब्द विचार (Shabd Vichar)
- शब्द भेद – अर्थ के आधार पर
- वाक्य – संबंधि अशुद्धिशोधन
- वाक्य रचना – वाक्य के भेद
- समास – समास के भेद (Samas or Samas ke bhed)
- संधि – संधि के भेद (Sandhi or Sandhi ke bhed)
- पद-परिचय (Pad Parichay in Hindi Vyakaran Class 10)
- अलंकार – अलंकार के भेद (Alankar or Alankar ke bhed)
- वाच्य – वाच्य के भेद (Vachya or Vachya ke bhed)