अव्यय अविकारी शब्द (Avyay Avikari Shabd in Hindi) → वे शब्द जिनमें लिंग, वचन, काल, पुरुष आदि के कारण कोई परिवर्तन नहीं होता है वे अव्यय कहलाते हैं |
जैसे → यहाँ, वहाँ, आज, कौन, धीरे, अरे आदि
अव्यय अविकारी शब्द (Avyay Avikari Shabd in Hindi)
अव्यय शब्दों के भेद – ( Avyay shabd ke bhed )
- क्रिया विशेषण
- संबंधबोधक
- समुच्चयबोधक
- विस्मयादिबोधक
- निपात
क्रियाविशेषण ( Kriya visheshan )
जैसे→ बारिश लगातार हो रही है |
बस अचानक रुक गई|
बंदर ऊपर बैठा है |
→ क्रिया की विशेषता बताने वाले अव्यय शब्द को क्रियाविशेषण कहते हैं |
क्रियाविशेषण के भेद ( Kriya Visheshan ke bhed )
(1) रीतिवाचक क्रियाविशेषण ( Riti Vachak Kriya Visheshan )
(2) स्थानवाचक क्रियाविशेषण ( Sthan Vachak Kriya visheshan )
(3) कालवाचक क्रियाविशेषण ( Kaal Vachak Kriya visheshan )
(4) परिमाणवाचक क्रियाविशेषण ( Parinam Vachak Kriya Visheshan )
रीतिवाचक क्रियाविशेषण
जैसे→ सौम्या धीरे – धीरे लिखती है |
→ सारे – खिलौने हाथों – हाथ बिक गए |
→ जिस क्रियाविशेषण शब्द से क्रिया के होने की रीति या ढंग का पता चलता है, उसे रीतिवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं |
पहचान → क्रिया के साथ “कैसे” शब्द लगाकर प्रश्न करने से जो उत्तर प्राप्त होता है वही रीतिवाचक क्रियाविशेषण होता है |
जैसे →
अचानक बारिश आ गई |
प्रश्न → “कैसे” आ गई |
उत्तर → अचानक (रीतिवाचक क्रियाविशेषण)
स्थानवाचक क्रियाविशेषण
जैसे → कविता ऊपर रहती है |
राधा बाहर पढ़ रही है |
→ जिस क्रियाविशेषण शब्द से क्रिया के होने के स्थान का पता चलता है, उसे स्थानवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं |
पहचान – क्रिया के साथ “कहाँ” शब्द लगाकर प्रश्न करने पर जो उत्तर मिले वही स्थानवाचक क्रियाविशेषण होता है |
कालवाचक क्रियाविशेषण
जैसे → माता जी मंदिर प्रतिदिन जाती है |
राजू कल सुबह आएँगा |
→ जिस क्रियाविशेषण शब्द से क्रिया के होने के समय का पता चलता है, उसे कालवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं |
पहचान – क्रिया के साथ “कब” शब्द लगाकर प्रश्न करने पर जो उत्तर प्राप्त हो वह कालवाचक क्रियाविशेषण होता है |
जैसे → पिताजी रात में आएँगे |
प्रश्न → “कब” आएँगे
उत्तर → रात में (कालवाचक क्रियाविशेषण)
परिमाणवाचक क्रियाविशेषण
जैसे → चाय में चीनी कम डालना |
सबको लड्डू थोड़े – थोड़े मिलेंगे |
→ जिस क्रियाविशेषण शब्द से क्रिया की मात्रा और परिमाण का पता चलता है, उसे परिमाणवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं |
पहचान → क्रिया के साथ “कितना” शब्द लगाकर प्रश्न करने पर जो उत्तर प्राप्त होता है वह परिमाणवाचक क्रियाविशेषण होता है |
जैसे → नल से पानी ज्यादा टपक रहा है |
प्रश्न → कितना टपक रहा है |
उत्तर → “ज्यादा” (परिमाणवाचक क्रियाविशेषण)
संबंधबोधक अव्यय ( Sambandhbodhak Avyay )
जैसे →
→ दुकान के पास सब्जियाँ बिक रही थी |
→ वह चाय के साथ बिस्कुट खाता है |
→ मच्छरों के मारे बच्चे सो भी नहीं सके |
ऐसे शब्द, जो संज्ञा और सर्वनाम शब्दों के साथ आकर उनका संबंध वाक्य के अन्य शब्दों के साथ प्रकट करते हैं, उन्हें संबंधबोधक कहते हैं |
संबंधबोधक के भेद
- कालवाचक – के पूर्व, के पश्चात्, के आगे, के पीछे, के पहले आदि |
- स्थानवाचक – के ऊपर, के नीचे, के अंदर, के बाहर, के समीप आदि |
- दिशावाचक – की ओर, की तरफ, के आस – पास आदि |
- साधनवाचक – के द्वारा, के जरिए, के निमित्त, के खातिर आदि |
- सादृश्यवाचक – के जैसा, के समान, की तरह आदि |
- विरोधवाचक – के उल्टे, के विपरीत, के प्रतिकूल आदि |
- तुलनावाचक – की अपेक्षा आदि |
- उद्देश्यवाचक – के लिए, के हतु, के फलस्वरूप आदि |
- व्यक्तिरेकवाचक – के अतिरिक्त, के बिना, के रहित आदि |
- सहचरवाचक – के साथ, के संग, के समेत आदि |
संबंधबोधक और क्रियाविशेषण में अंतर →
समुच्चयबोधक अव्यय ( Samuchaya Bodhak Avyay )
जैसे → कमलेश गाएगी तो सौम्या नृत्य करेगी |
आप चाय पिएँगे या कॉफ़ी ?
प्रताप और तरुण भाई – भाई है |
→ जिन शब्दों के द्वारा दो शब्दों या दो वाक्यों या दो वाक्यांशों को जोड़ने का कार्य किया जाता है, उन्हें समुच्चयबोधक या योजक कहते है |
समुच्चयबोधक के भेद
- समानाधिकरण समुच्चयबोधक
- व्यधिकरण समुच्चयबोधक
समानाधिकरण समुच्चयबोधक
जैसे →
रेखा और नीतू पुस्तकें खरीद लाईं |
कुछ बच्चे कहानी लिख रहे थे और कुछ चित्र बना रहे थे |
→ जिन समुच्चयबोधक शब्दों द्वारा दो समान वाक्यांशों, दो समान शब्दों और दो समान वाक्यों को जोड़ा जाता है उन्हें समानाधिकरण समुच्चयबोधक कहते है |
समानाधिकरण समुच्चयबोधक के भेद
(1) संजोयक
(2) विभाजक
(3) विरोधसूचक
(4) परिणामसूचक
(1) संजोयक →
(1) राधा और रेखा दिल्ली जाएँगी |
(2) कृपया प्रताप और नीतू के विवाह में पधारे |
(2) विभाजक→
निबंध अथवा कहानी में से एक लिखिए |
→ चाय पीना या शरबत पीना |
(3) विरोधसूचक→
जैसे → पुस्तकें खरीदनी थी, परंतु दुकान बंद है |
→ चाय नहीं मिली किंतु कॉफी मिल गई |
(4) परिणामसूचक→
जैसे → राम ने पढ़ाई नहीं कि इसलिए अनुत्तीर्ण हो गया |
→ गृहकार्य नहीं किया था अत: डाँट खानी पड़ी |
व्यधिकरण समुच्चयबोधक
जैसे → वे सफल होते है, जो परिश्रम करते है |
धीरे चलो ताकि थक न जाएँ
→ किसी वाक्य के प्रधान और आश्रित उपवाक्यों को जोड़ने वाले शब्दों को व्यधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं |
व्यधिकरण समुच्चयबोधक भेद
(1) कारणसूचक
(2) संकेतसूचक
(3) उद्देश्यसूचक
(4) स्वरूपसूचक
(1) कारणसूचक →
जैसे → श्याम को गाड़ी नहीं मिली क्योंकि वह समय पर नहीं गया |
(2) संकेतसूचक →
जैसे → यदि पिताजी आ जाते तो घुमाने ले जाते |
तो तैयार होते तो चल पड़ते |
(3) उद्देश्यसूचक →
जैसे → पुस्तक ले ली है ताकि पढ़ सकूँ |
खाना बना दिया है जिससे कि बच्चे खा सके |
(4) स्वरूपसूचक →
→ श्रीमती नीलम अर्थात् आदर्श अध्यापिका |
→ सत्यवादी बलबीर जी मानो हरिश्चंद के अवतार हैं |
विस्मयादिबोधक अव्यय ( Vismayadibodhak Avyay )
जिन शब्दों के द्वारा विस्मय, भय, हर्ष, क्रोध, घृणा आदि भाव प्रकट होते हैं, उन्हें विस्मयादिबोधक कहते हैं |
जैसे →
अरे ! मोहन आज विद्यालय नहीं गया |
शाबाश ! खूब पढ़ो |
विस्मयादिबोधक के भेद
(1) विस्मयसूचक
(2) हर्षसूचक
(3) शोकसूचक
(4) संबोधनसूचक
(5) घृणासूचक
(6) चेतावनीसूचक
(7) स्वीकृतिसूचक
(8) आशीर्वादसूचक
(9) भयसूचक
(10) क्रोधसूचक
विस्मयसूचक
अरे ! रेखा नृत्य भी करती है |
अरी, अरे, ओहो, अहो, सच, क्या, आदि
हर्षसूचक
अहा! अब आएगा मज़ा
अहा!, वाह!, धन्य, आदि |
शोकसूचक
हाय ! बेचारे की झोपड़ी जल गयी |
ओह!, हाय!, आह!, उफ! राम! राम! हे राम ! आदि |
संबोधनसूचक
अरे ! मोहन इधर आना
अजी, हे, अरे, सुनते हो
घृणासूचक
छि: ! कैसी गंदगी पड़ी है |
छि: ! छि: !, हट ! आदि |
चेतावनीसूचक
सावधान ! आगे खतरा है |
खबरदान, बचो, सावधान
स्वीकृतिसूचक
हाँ ! तुम जयपुर चली जाओ |
अच्छा, ठीक, हाँ |
आशीर्वादसूचक
सदा खुश रहो! चिर सौभाग्यवती बनो !
शाबाश, जीते रहो, खुश रहो |
भयसूचक
बाप रे ! अब क्या होगा |
हाय! कोई बचाए उसे |
हाय! बाप रे !
क्रोधसूचक
अरे! चुप रहते हो की लगाऊँगा |
अरे, चुप, खामोश, अबे
निपात (Nipat)
जिन अव्यय शब्दों का प्रयोग किसी शब्द पर विशेष बल देने के लिए किया जाता है, उन्हें निपात कहते हैं |
→ मत, मात्र, तक, भी, ही, तो, भर, केवल आदि मुख्य निपात हैं |
(1) राधा ने ही मुझे पुस्तक दी है |
(2) राधा ने मुझे पुस्तक दी है |
(3) राधा ने मुझे पुस्तक ही दी है |
FAQs on Avyay Avikari Shabd in Hindi
प्र.1. क्रियाविशेषण के कितने भेद होते हैं ?
उत्तर = चार भेद होते हैं |
प्र.2. ‘मोहन सामने रहता है |’ उक्त वाक्य में क्रियाविशेषण का भेद बताइए –
उत्तर = स्थानवाचक क्रियाविशेषण
प्र.3. ‘निबंध लिखिए अथवा कविता लिखिए |’ उक्त वाक्य में अव्यय शब्द बताइए –
उत्तर = ‘अथवा’
प्र.4. राधा ऊपर खेल रही है | उक्त वाक्य में अव्यय का कौनसा भेद है ?
उत्तर = क्रियाविशेषण
प्र.5. समुच्चयबोधक अव्यय के कितने भेद होते है ?
उत्तर = दो भेद
प्र.6. रेखा ने मुझे साड़ी ही दी थी उक्त वाक्य में से निपात बताइए –
उत्तर = ‘ही’
प्र.7. निपात किसे कहते हैं ?
उत्तर = ऐसे अव्यय शब्द जो वाक्य में किसी पद के साथ आकर उसे विशेष बल प्रदान करते हैं, निपात कहलाते हैं |
Hindi Vyakaran Class 8 Notes
- संज्ञा – संज्ञा के भेद
- सर्वनाम – सर्वनाम के भेद
- उपसर्ग – उपसर्ग के प्रकार
- कारक – कारक के भेद
- क्रिया ( अकर्मक क्रिया, सकर्मक क्रिया )
- काल और काल के भेद
- विशेषण और विशेषण के भेद
- वचन – वचन के भेद
- विराम चिह्न – विराम चिह्न के भेद
- लिंग – लिंग के भेद
- मुहावरे और लोकोक्तियाँ
- प्रत्यय – प्रत्यय के प्रकार
- अव्यय (अविकारी)
- वर्तनी (Vartani)
- शब्द विचार (Shabd Vichar)
- शब्द भेद – अर्थ के आधार पर
- वाक्य – संबंधि अशुद्धिशोधन
- वाक्य रचना – वाक्य के भेद
- समास – समास के भेद (Samas or Samas ke bhed)
- संधि – संधि के भेद (Sandhi or Sandhi ke bhed)
- पद-परिचय (Pad Parichay in Hindi Vyakaran Class 10)
- अलंकार – अलंकार के भेद (Alankar or Alankar ke bhed)
- वाच्य – वाच्य के भेद (Vachya or Vachya ke bhed)
1 thought on “Avyay Avikari Shabd in Hindi”
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