रचना के आधार पर बने वाक्यों को उनके अंगों सहित अलग कर उनका परस्पर सम्बन्ध बताना वाक्य विश्लेषण कहलाता है।
1. सरल/साधारण वाक्य का विश्लेषण ( Saral Sadharan Vakya ka Visletion )
→ सबसे पहले इसमें वाक्य के दो अंग – उद्देश्य तथा विधेय को बताना होता है।
→ उद्देश्य के अंग – कर्ता व कर्ता का विस्तार
→ विधेय के अन्तर्गत कर्म व कर्म का विस्तारक, पूरक, पूरक का विस्तारक।
जैसे → मेरा भाई तरुण धार्मिक बहुत पुस्तके पढ़ता है।
विधेय
- मेरी बहन राधा धार्मिक पुस्तकें बहुत पढ़ती है।
विधेय
2. मिश्र या मिश्रित वाक्य का विश्लेषण ( Mishr ya Mishrit Vakya ka Visletion ) →
मिश्रित या मिश्र वाक्य के विश्लेषण में उसके प्रधान तथा आश्रित उपवाक्य एवं उसके प्रकार का उल्लेख किया जाता है।
जैसे → 1. वेदान्त ने कहा कि मैं दिल्ली नहीं जाऊँगा।
जो परिश्रम करते हैं, वे सफल होते हैं।
3. संयुक्त वाक्य का वाक्य विश्लेषण ( Sanyukt Vakya ka Vakya Visletion )
संयुक्त वाक्य के विश्लेषण में साधारण या प्रधान उपवाक्य के उल्लेख के साथ उन्हें जोड़ने वाले योजक शब्द के विषय में नहीं बताना होता है।
जैसे → कृष्ण बाँसुरी बजाते थे और राधा नाचती थी।
साधारण वाक्य/प्रधान उपवाक्य
→ (अ) कृष्ण बाँसुरी बजाते थे
(ब) राधा नाचती थी।