NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 13 – Teesri Kasam Ke Shilpkar Shailendra

CBSE NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 13 – Teesri kasam ke shilpkar shailendra (तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र)

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 13 तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र have been explained in a simple and easy to understand language in order to create NCERT Solutions for Class 10 series. Here we are sharing NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 13 Teesri Kasam Ke Shilpkar Shailendra.

Textbook Hindi Class 10 Sparsh (स्पर्श भाग 2)
Chapter 13 – Teesri Kasam ke Shilpkar Shailendra (तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र)
Author Prahlad Agarwal (प्रहलाद अग्रवाल)
Khand Gadya Khand (गद्य खंड)

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-

1. ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को कौन-कौन-से पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है?

उत्तर:- ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को राष्ट्रपति स्वर्ण पदक मिला, बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म का पुरस्कार मिला और मास्को फ़िल्म फेस्टिवल में भी यह फ़िल्म पुरस्कृत हुई।




2. शैलेंद्र ने कितनी फिल्में बनाईं?

उत्तर:- ‘तीसरी कसम’ शैलेंद्र की जीवन की पहली और अंतिम फिल्म है।

3. राजकपूर द्वारा निर्देशित कुछ फिल्मों के नाम बताइए।

उत्तर:- राजकुमार ने संगम, मेरा नाम जोकर, अजंता, मैं और मेरा दोस्त, सत्यम शिवम सुंदरम, श्री 420, आदि फिल्मों का निर्देशन किया।

4. ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म के नायक व नायिकाओं के नाम बताइए और फ़िल्म में इन्होंने किन पात्रों का अभिनय किया है?

उत्तर:- ‘तीसरी कसम’ फिल्म में नायक राजकुमार ने हीरामन और नायिका वहीदा रहमान ने हीराबाई की भूमिका निभाई।

5. फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ का निर्माण किसने किया था?

उत्तर:- फिल्म ‘तीसरी कसम’ का निर्माण शैलेंद्र ने किया था।

6. राजकपूर ने ‘मेरा नाम जोकर’ के निर्माण के समय किस बात की कल्पना भी नहीं की थी?

उत्तर:- जब 1965 में राजकुमार ने मेरा नाम जोकर का निर्माण आरंभ किया था, तब उन्होंने यह कल्पना भी नहीं की थी कि इस फिल्म का एक ही भाग बनाने में छह वर्षों का समय लग जाएगा।

7. राजकपूर की किस बात पर शैलेंद्र का चेहरा मुरझा गया?

उत्तर:- तीसरी कसम फिल्म की कहानी सुनने के बाद जब राजकुमार ने शैलेंद्र से अपना परिश्रमिक एडवांस मांगा, तब यह बात सुनकर शैलेंद्र का चेहरा मुरझा गया; क्योंकि उन्होंने अपने दोस्त से ऐसी उम्मीद नहीं की थी।

8. समीक्षक राजकपूर को किस तरह का कलाकार मानते थे?

उत्तर:- समीक्षक ‌और कला-मर्मज्ञ राजकपूर को एक उत्कृष्ट और आंखों से बात करने वाला कलाकार मानते थे।

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 13 – Teesri kasam ke shilpkar shailendra – निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-

1. ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को ‘सैल्यूलाइड पर लिखी कविता’ क्यों कहा गया है?

उत्तर:- ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को सेल्यूलाइट पर लिखी कविता इसलिए कहा गया है क्योंकि यह फ़िल्म, फ़िल्म कम और कविता ज्यादा थी। जिस प्रकार एक कविता भावनाओं, मार्मिकता, आत्मीयता और संवेदना से भरपूर होती है, उसी प्रकार फणीश्वरनाथ रेणु द्वारा लिखी गई महान कृति पर बनी यह फ़िल्म भी कविता का अनुभव करवाती है। यह फिल्म कविता का सजीव चित्रण मालूम होती है।

2. ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को खरीददार क्यों नहीं मिल रहे थे?

उत्तर:- जहां फ़िल्म इंडस्ट्री में लोग सिर्फ पैसा कमाना चाहते है, वहीं तीसरी कसम फ़िल्म संवेदना और भावनाओं से परिपूर्ण थी। इस फिल्म की संवेदना समझना फिल्म इंडस्ट्री के उन लोगों के बस की बात नहीं है, जो दो से चार बनाना चाहते है; और यही कारण था कि तीसरी कसम फ़िल्म को खरीददार नहीं मिल रहे थे।

3. शैलेंद्र के अनुसार कलाकार का कर्तव्य क्या है?

उत्तर:- शैलेंद्र के अनुसार यह एक कलाकार का कर्तव्य है कि वह दर्शकों की रुचि की आड़ में उथलेपन को उन पर न‌ थोपे और उपभोक्ता की रुचियों का परिष्कार करने का प्रयत्न करें। शैलेंद्र ने झूठे अभी जाते को कभी नहीं अपनाया। यह एक कलाकार का कर्तव्य होता है कि वह अच्छे और सभ्य समाज को बढ़ावा दे और विकृत मानसिकता का प्रोत्साहन न करे।

4. फिल्मों में त्रासद स्थितियों का चित्रांकन ग्लोरिफाई क्यों कर दिया जाता है?

उत्तर:- हमारी फिल्मों की सबसे बड़ी कमजोरी होती है, लोक तत्व का अभाव। ये आम जिंदगी से बहुत दूर होती है। हमारी ‘फिल्म इंडस्ट्री’ में ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाने के लिए दर्शकों की भावनाओं का शोषण किया जाता है। त्रासद स्थितियों का चित्रांकन ग्लोरिफाई किया जाता है और दर्शकों के सामने दुख को बढ़ -चढ़ाकर उसका विभक्त रूप प्रस्तुत किया जाता है।

5. ‘शैलेंद्र ने राजकपूर की भावनाओं को शब्द दिए हैं’ – इस कथन से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:- राज कपूर बहुत ही मंझे हुए और उम्दा कलाकार थे। आँखों से बात करना उनकी खासियत थी। फिल्म तीसरी कसम में शैलेन्द्र ने राजकपूर की इन्हीं भावनाओं को अपने गीतों के शब्दों और भाव संवादों के रूप में अभिव्यक्ति प्रदान की है। राजकुमार और शैलेंद्र दोनों के जीवन में भावुकता और संवेदनाओं का महत्वपूर्ण स्थान था। राजकुमार इन भावनाओं को अपने अभिनय से और शैलेंद्र इन भावनाओं को अपनी कविताओं के माध्यम से व्यक्त करते थे।




6. लेखक ने राजकपूर को एशिया का सबसे बड़ा शोमैन कहा है। शोमैन से आप क्या समझते हैं?

उत्तर:- शोमैन एक ऐसे व्यक्ति को कहा जाता है, जो अपनी कला का प्रदर्शन लोगों के सामने करता हो। राजकुमार एक मंजे हुए और उम्दा कलाकार थे। फिल्म की टिकटें उनका नाम सुनते ही बिक जाती थी और उनको देखने दर्शक अपने-आप सिनेमाघर तक खिंचे चले आते थे। इसी कारण उन्हें एशिया का सबसे बड़ा शोमैन कहा गया है।

7. फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ के गीत ‘रातों दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ’ पर संगीतकार जयकिशन ने आपत्ति क्यों की?

उत्तर:- फिल्म तीसरी कसम के गीत ‘रातों दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियां’ पर संगीतकार जयकिशन ने आपत्ति जताई, क्योंकि उनका ख्याल था कि दर्शक चार दिशाएं तो जानते है, लेकिन दस दिशाओं का अर्थ नहीं समझ पाएंगे। उनके अनुसार साहित्यिक सोच और जनसामान्य की सोच में अंतर होता है, जिसके कारण दर्शक संगीत के साथ सही तालमेल नहीं बैठा पाएंगे।

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 13 – Teesri kasam ke shilpkar shailendra – निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-

1. राजकपूर द्वारा फ़िल्म की असफलता के खतरों से आगाह करने पर भी शैलेंद्र ने यह फ़िल्म क्यों बनाई?

उत्तर:- अभिनेता राजकपूर एक अनुभवी निर्माता-निर्देशक थे और एक अच्छे व सच्चे मित्र की हैसियत से उन्होंने शैलेंद्र को फिल्म की असफलता के खतरों से आगाह कर दिया था; लेकिन इसके बावजूद भी शैलेन्द्र फ़िल्म बनाना चाहते थे, क्योंकि शैलेंद्र एक सीधे-साधे सरल कवि थे, जिन्हें धन-संपत्ति, मान,सम्मान और वैभव की कामना नहीं थी। उन्होंने तो सिर्फ अपनी आत्मतुष्टि और आत्म-संतुष्टि के लिए अपने मन की भावनाओं को फिल्म के माध्यम से दर्शकों तक पहुंचाया और उनके मन को छूने का प्रयास किया। इसलिए उन्होंने कमाई और फा़यदे-नुकसान के बारे में बिना सोचे यह फिल्म बनाने का फैसला लिया।

2. ‘तीसरी कसम’ में राजकपूर का महिमामय व्यक्तित्व किस तरह हीरामन की आत्मा में उतर गया है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:- तीसरी कसम फिल्म में अभिनेता राजकुमार ने अभिनय नहीं किया, बल्कि वे हीरामन के साथ एकाकार हो गए। जब राजकुमार ने इस फिल्म में अभिनय किया था तब उनका व्यक्तित्व एक के बंधती बन चुका था लेकिन इस फिल्म में वे मासूमियत के चरमोत्कर्ष को छूते है। इस फिल्म में उन्होंने हीरामन के किरदार में इतना पूरी तरह ढलकर, उसके साथ पूरी तरह न्याय किया है। उन्होंने फिल्म में हीराबाई में अपनापन खोजते हुए और उसकी उपेक्षा पर अपने ही आप से जूझते हुए भोले गाड़ीवान, हीरामन को बड़ी ही खूबसूरती से दर्शकों के सामने पेश किया है।




3. लेखक ने ऐसा क्यों लिखा है कि ‘तीसरी कसम’ ने साहित्य-रचना के साथ शत-प्रतिशत न्याय किया है?

उत्तर:- हमारी फिल्म इंडस्ट्री में लोग ज्यादा-से-ज्यादा पैसे कमाने के लिए साहित्य के साथ खिलवाड़ करते है। टिकटों की बिक्री बढ़ाने के लिए दर्शकों की रुचि को महत्व देते हुए साहित्य को तोड़-मरोड़कर उनके सामने पेश करते है। इन फिल्मों की सबसे बड़ी कमजोरी होती है कि यह सच्चाई और आम जिंदगी से बहुत दूर होती है। लेकिन तीसरी कसम एक शुद्ध साहित्यिक फ़िल्म थी। इस कहानी के साहित्य व मूल रुप में जरा भी बदलाव नहीं किया गया था।  इस फ़िल्म ने कहानी की मूल आत्मा अर्थात् इसके साहित्य के साथ पूरी तरह न्याय किया था। इसीलिए लेखक ने ऐसा लिखा है कि ‘तीसरी कसम’ ने साहित्य-रचना के साथ शत-प्रतिशत न्याय किया है।

4. शैलेंद्र के गीतों की क्या विशेषताएँ हैं? अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर:- शैलेंद्र के द्वारा लिखी हुए गीत शांत नदी के प्रवाह की तरह बहते हुए प्रतीत होते थे, लेकिन समुद्र के समान गहराई लिए हुए होते थे। उनके द्वारा लिखे गए गीत सीधे, सरल, भावनात्मक, संवेदनशील और प्रेम से भरपूर होते थे। इतनी सरलता होने के बावजूद भी उनका अर्थ बहुत विशाल और गहरा होता था। उनमें भावुकता और सरलता का सही तालमेल होता था। इन्हीं सब खूबियों की बदौलत उनके सभी गीतों की लोकप्रियता उन दिनों सातवें आसमान पर थी।

5. फ़िल्म निर्माता के रूप में शैलेंद्र की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।

उत्तर:- ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म के निर्माता शैलेन्द्र की यह पहली और अंतिम फ़िल्म थी। उनके मित्र राजकुमार ने उन्हें इस फिल्म से जुड़े नुकसान के बारे में पहले से आगाह कर दिया था, लेकिन फिर भी उन्होंने इसे बनाने का फैसला लिया; क्योंकि यह फ़िल्म उन्होंने अपने मन की संतुष्टि के लिए बनाई थी। उनके कवि मन को लाभ-हानि, मान-सम्मान, वैभव, गौरव, प्रसिद्धि, आदि की कामना नहीं थी बल्कि वह तो उन्होंने तो अपनी आत्मसंतुष्टि के लिए अपने मन की भावनाओं को इस फिल्म के माध्यम से लोगों के सामने पेश किया और उनके मन को छूने का प्रयास किया। एक अच्छे और सिद्धांतवादी कवि होने के नाते उन्होंने इस फिल्म के साहित्य के साथ छेड़छाड़ नहीं किया।

6. शैलेंद्र के निजी जीवन की छाप उनकी फ़िल्म में झलकती है – कैसे? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:- शैलेन्द्र अपने निजी जीवन में एक सच्चे, सरल और सीधे-सादे व्यक्ति थे जिन्हें लाभ-हानि, मान-सम्मान, वैभव, गौरव, प्रसिद्धि, आदि का कोई लालच नहीं था। इस फ़िल्म के माध्यम से उन्होंने अपने मन की भावनाओं और संवेदनाओं को दर्शकों के सामने व्यक्त किया है, इसलिए इस फ़िल्म में उनके निजी जीवन की छाप साफ झलकती है। उनका जीवन भी इस फिल्म के गीतों के अनुसार शांत नदी के प्रवाह के समान और समुद्र की तरह गहराई लिए हुए था। इस फ़िल्म का मुख्य किरदार, हीरामन उनकी तरह सरल, भोला, दूसरों में अपनापन खोजने वाला और अपने आप से ही झूलने वाला था।

7. लेखक के इस कथन से कि ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म कोई सच्चा कवि हृदय ही बना सकता था, आप कहाँ तक सहमत हैं? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:- हम लेखक के इस विचार से पूरी तरह सहमत है, क्योंकि यह फिल्म एक शब्द साहित्य रचना है। इस फिल्म को देखकर ऐसा प्रतीत होता है, मानो यह किसी कविता का सजीव चित्रण हो। यह फ़िल्म कवि के मन की कोमल भावनाओं और संवेदनाओं की अनुभूति करवाती है।  इसलिए ऐसा कहा गया है कि ‘तीसरी कसम’ जैसी संवेदनशील और भावनात्मक फ़िल्म वही बना सकता था, जो इन सभी भावनाओं और संवेदना से भलीभांति वाकिफ हो और उसका जीवन इनसे ओतप्रेत हो।

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 13 – Teesri kasam ke shilpkar shailendra

निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-

1. वह तो एक आदर्शवादी भावुक कवि था, जिसे अपार संपत्ति और यश तक की इतनी कामना नहीं थी जितनी आत्मसंतुष्टि के सुख की अभिलाषा थी।

उत्तर:- प्रस्तुत पंक्ति का यह आशय है कि कवि शैलेन्द्र भावुक और संवेदनशील थे। उन्हें धन-संपत्ति, यश, गौरव, आदि की कामना नहीं थी। वे तो सिर्फ अपनी आत्म संतुष्टि के लिए अपने मन की भावनाओं को कविताओं और तीसरी कसम फिल्म के अनुसार व्यक्त करके लोगों के मन को छूना चाहते थे। और इसीलिए उन्होंने बिना नुकसान-हानि की परवाह किए, तीसरी कसम फिल्म का निर्माण किया।

2. उनका यह दृढ़ मंतव्य था कि दर्शकों की रुचि की आड़ में हमें उथलेपन को उन पर नहीं थोपना चाहिए। कलाकार का यह कर्तव्य भी है कि वह उपभोक्ता की रुचियों का परिष्कार करने का प्रयत्न करे।

उत्तर:- प्रस्तुत पंक्तियों में कवि शैलेंद्र की विचारधारा के बारे में बताया गया है। उनका मानना था कि एक कलाकार का कर्तव्य है कि वह अपने दर्शकों की रुचि का ख्याल रखे, लेकिन उसे इतना महत्व ना दे कि उसकी वजह से उसे अच्छी और उत्तम कृतियों को भी तोड़-मरोड़कर पेश करना पड़े।

3. व्यथा आदमी को पराजित नहीं करती, उसे आगे बढ़ने का संदेश देती है।

उत्तर:- प्रस्तुत पंक्ति का आशय है कि व्यक्ति के जीवन में कठिनाइयां और बाधाएं उसे परास्त करने के उद्देश्य से नहीं आती बल्कि उसे और बेहतर बनाने के लिए आती है। इसलिए हर इंसान को कठिनाइयों, दुःख-दर्द, बाधाओं, आदि को सहकर निरंतर आगे बढ़ते रहना चाहिए और स्वयं में निरंतर सुधार लाते रहना चाहिए।

4. दरअसल इस फ़िल्म की संवेदना किसी दो से चार बनाने वाले की समझ से परे है।

उत्तर:- प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक ने बताया है कि हमारी फिल्म इंडस्ट्री में लोगों को सिर्फ पैसे कमाने से मतलब होता है, जहां संवेदनाओं के लिए कोई जगह नहीं है। इसलिए तीसरी कसम जैसी फिल्म जो भावनाओं, संवेदनाओं और सहानुभूति से परिपूर्ण थी, उसको समझना ऐसे लोगों के बस की बात नहीं है।




5. उनके गीत भाव-प्रवण थे- दुरूह नहीं।

उत्तर:- प्रस्तुत पंक्ति में कवि शैलेंद्र द्वारा लिखे गए गीतों की विशेषताओं का वर्णन किया गया है। उनके द्वारा लिखे गए गीत सीधे, सरल, भावनात्मक, संवेदनशील और प्रेम से भरपूर होते थे। इतनी सरलता होने के बावजूद भी उनका अर्थ बहुत विशाल और गहरा होता था। उनमें भावुकता और सरलता का सही तालमेल होता था।

CBSE NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 13 – भाषा-अध्ययन

1. पाठ में आए निम्नलिखित मुहावरों से वाक्य बनाइए-
चेहरा मुरझाना, चक्कर खा जाना, दो से चार बनाना, आँखों से बोलना।

उत्तर:-

(क). अच्छा परिणाम न आने के कारण शाम का चेहरा मुरझा गया।
(ख). अनपढ़ होने के बावजूद उसके काम की परिपूर्णता को देखकर अच्छे-अच्छे चक्कर खा जाते हैं।
(ग). आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग सिर्फ दो से चार बनाने में लगे हुए हैं।
(घ). भरी सभा में प्रेमी और प्रेमिका एक दूसरे से आंखों से बोल रहे थे।

2. निम्नलिखित शब्दों के हिंदी पर्याय दीजिए –
शिद्दत, नावाकिफ, याराना, यकीन, बमुश्किल, हावी, खालिस, रेशा।

उत्तर:-

(क) शिद्दत = प्रगाढ़ता
(ख) याराना = दोस्ताना
(ग) बमुश्किल = कठिन
(घ) खालिस = शुद्ध
(ङ) नावाकिफ = अनजान
(च) यकीन = विश्वास
(छ) हावी = भारी पड़ना
(ज) रेशा = धागा

3. निम्नलिखित का संधिविच्छेद कीजिए-
चित्रांकन, सर्वोत्कृष्ट, चर्मोत्कर्ष, रूपांतरण, घनानंद।

उत्तर:-

(क) चित्रांकन = चित्र + अंकन
(ख) सर्वोत्कृष्ट = सर्व + उत्कृष्ट
(ग) चर्मोत्कर्ष = चरम + उत्कर्ष
(घ) रूपांतरण = रूप + अंतरण
(ङ) घनानंद = गन + आनंद

4. निम्नलिखित का समास विग्रह कीजिए और समास का नाम भी लिखिए-
कला-मर्मज्ञ, लोकप्रिय, राष्ट्रपति।

उत्तर:-

(क) कला मर्मज्ञ = कला का मर्मज्ञ (तत्पुरुष समास)
(ख) लोकप्रिय = लोक में प्रिय (तत्पुरुष समास)
(ग) राष्ट्रपति = राष्ट्रपति का पति (तत्पुरुष समास)

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh

  1. कबीर – साखी
  2. मीरा – पद
  3. बिहारी – दोहे
  4. मैथिलीशरण गुप्त – मनुष्यता
  5. सुमित्रानंदन पंत – पर्वत प्रदेश में पावस
  6. महादेवी वर्मा – मधुर मधुर मेरे दीपक जल
  7. वीरेन डंगवाल – तोप 
  8. कैफी आज़मी – कर चले हम फ़िदा
  9. रवींद्रनाथ ठाकुर – आत्मत्राण
  10. प्रेमचंद्र – बड़े भाई साहब
  11. सीताराम सेकसरिया – डायरी का एक पन्ना
  12. लीलाधर मंडलोई – ततांरा-वामीरो कथा
  13. प्रहलाद अग्रवाल – तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र
  14. अंतोन चेखव – गिरगिट
  15. निदा फ़ाज़ली – अब कहां दूसरे के दुख से दुखी होने वाले
  16. रविन्द्र केलेकर – पतझर में टूटी पत्तियां
  17. हबीब तनवीर – कारतूस

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