Prernarthak Kriya or Nam dhatu Kriya

Prernarthak Kriya in Hindi (प्रेरणार्थक क्रिया) or Nam dhatu Kriya (नामधातु क्रिया)

नामधातु क्रिया (Nam dhatu Kriya)

संज्ञा, सर्वनाम तथा विशेषण शब्दों के अंत मंे प्रत्यय लगाकर जो क्रिया बनती है, उसे नामधातु क्रिया कहते हैं।

संज्ञा शब्द से →
फि़ल्म +  आना = फि़ल्माना
दुख +  ना = दुखना

विशेषण शब्द से →
साठ + इयाना = सठियाना
गरम + आना = गरमाना




सर्वनाम शब्द से →
अपना + आना = अपनाना

Prernarthak Kriya or Nam dhatu Kriya Video Explanation

प्रेरणार्थक क्रिया (Prernarthak Kriya)

जहाँ कर्ता अपना कार्य स्वयं न करके किसी अन्य को कार्य करने की प्रेरणा देता है, वहाँ प्रेरणार्थक क्रिया होती है। जैसे →

पिता जी ने बेटे से अख़बार मँगवाया।
मालकिन नौकरानी से सज़ाई करवाती है।

उपर्युक्त वाक्यों में कर्ता स्वयं अपना काम ने करके किसी अन्य से कार्य करवा रहे है।
-प्रथम वाक्य में पिता जी स्वयं अखबार न लाकर बेटे से मँगवा रहे है।
-वही दूसरे वाक्य में भी मालकिन स्वयं सफाई न करके नौकरानी से करवा रही है, अतः प्रेरणार्थक क्रिया है।

प्रेरणार्थक क्रिया के प्रकार

(1) प्रथम
(2) द्वितीय

प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया (Pratham Prernarthak Kriya in Hindi)

जिन क्रियाओ में कर्ता, स्वयं कार्य करके दूसरों को कार्य करने की प्रेरणा देता हे, उन्हे प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं।
जैसे → 1. अध्यापिका बच्चों को पढ़ाती है।
इस वाक्य में ‘अध्यापिका’ स्वयं कार्य करके ‘बच्चों’ को कार्य करने की प्रेरणा दे रही है।जोकर दर्शकों को हँसाता है।
इस वाक्य में ‘जोकर’ स्वयं (हँस कर) ‘हँसने’ का कार्य करके ‘दर्शकों’ को हँसने की प्रेरणा दे रहा है। अतः ये प्रथम प्रेरणार्थक क्रियाएँ हैं।



द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया (Dwitiya Prernarthak Kriya in Hindi)

जिन क्रियाओ में कर्ता स्वयं सम्मिलित न होकर दूसरों को कार्य करने की प्रेरणा देता है, उन्हें द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं।
जैसे →

  1. माता जी बच्चों से राखी बनवाती हैं।
  2. दादा जी पुजारी से पूजा करवाते है।

Dwitiya Prernarthak Kriya – इन वाक्यों में कर्ता माता जी तथा दादा जी स्वयं कार्य न करके दूसरो को कार्य करने की प्रेरणा दे रहे हैं अतः ये द्वितीय प्रेरणार्थक क्रियाएँ है।

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