NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 5 – Vaigyanik Chetna ke Vahak Chandrasekhara Venkata Raman (वैज्ञानिक चेतना के वाहक चंद्रशेखर वेंकट रामन्)
Textbook | Hindi Class 9 Sparsh (स्पर्श भाग 1) |
Chapter | 5 – Vaigyanik Chetna ke Vahak Chandrasekhara Venkata Raman |
Author | Dhiranjan Malvey (धीरंजन मालवे) |
Khand | Gadya Khand (गद्य- खंड) |
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए –
1. रामन् भावुक प्रकृति-प्रेमी के अलावा और क्या थे?
उत्तर:- रामन् केवल एक भावुक प्रकृति-प्रेमी ही नहीं थे; बल्कि उनमें एक वैज्ञानिक जिज्ञासा और उत्साह भी था।
2. समुद्र को देखकर रामन् के मन में कौन-सी दो जिज्ञासाएँ उठीं?
उत्तर:- समुद्र को देखकर रामन् के मन में दो जिज्ञासाएं उठी। पहली तो यह कि समुद्र का रंग नीला ही क्यों होता है और दूसरी यह कि पानी का रंग कोई दूसरा क्यों नहीं हो सकता।
3. रामन् के पिता ने उनमें किन विषयों की सशक्त नींव डाली?
उत्तर:- रामन् के पिता गणित और भौतिकी के शिक्षक थे और रामन् में इन दोनों विषयों की सशक्त नींव उनके पिता ने ही तैयार की।
4. वाद्ययंत्रों की ध्वनियों के अध्ययन के द्वारा रामन् क्या करना चाहते थे?
उत्तर:- वाद्ययंत्रों की ध्वनियों के अध्ययन के द्वारा रामन् पश्चिमी देशों की इस भ्रांति को तोड़ना चाहते थे कि भारतीय वाद्ययंत्र विदेशी वाद्यों की तुलना में घटिया है।
5. सरकारी नौकरी छोड़ने के पीछे रामन् की क्या भावना थी?
उत्तर:- रामन् ने सरकारी नौकरी इसलिए छोड़ी थी क्योंकि वे विश्वविद्यालय में प्रोफेसर बनकर अपना पूरा समय अध्ययन, अध्यापन और शोध में बिताना चाहते थे।
6. ‘रामन् प्रभाव’ की खोज के पीछे कौन-सा सवाल हिलोरें ले रहा था?
उत्तर:- रामन् के मस्तिष्क में समुद्र के नीले रंग की वजह का सवाल हिलोरें ले रहा था और इसी सवाल के परिणामस्वरूप उन्होंने रामन् प्रभाव की खोज की।
7. प्रकाश तरंगों के बारे में आइंस्टाइन ने क्या बताया?
उत्तर:- प्रकाश तरंगों के बारे में आइंस्टाइन ने बताया कि प्रकाश अति सूक्ष्म कणों की तीव्र धारा के समान है।
8. रामन् की खोज ने किन अध्ययनों को सहज बनाया?
उत्तर:- रावण की खोज की वजह से पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन, पदार्थों का संश्लेषण प्रयोगशाला में करना तथा अनेक उपयोगी पदार्थों का प्रथम रूप से निर्माण सहज एवं संभव हो गया।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए –
1. कॉलेज के दिनों में रामन् की दिली इच्छा क्या थी?
उत्तर:- कॉलेज के दिनों में रामन् की दिली इच्छा तो यही थी कि वे अपना सारा जीवन शोधकार्यों में समर्पित कर दें; मगर उन दिनों व्यवस्थाओं की कमी की वजह से शोधकार्य को पूरे समय कैरियर के रूप में अपनाना संभव नहीं था।
2. वाद्ययंत्रों पर की गई खोजों से रामन् ने कौन-सी भ्रांति तोड़ने की कोशिश की?
उत्तर:- रामन् ने अपनी वाद्य यंत्र पर किए गए शोध कार्य में वायलिन, चैलो व पियानो जैसे विदेशी वाद्यों के साथ-साथ वीणा, तानपुरा और मृदंगम् जैसे देसी वाद्यों पर भी कार्य किया; क्योंकि वे वैज्ञानिक सिद्धांतों के आधार पर पश्चिमी देशों की इस भ्रांति को तोड़ना चाहते थे कि भारतीय वाद यंत्र विदेशी वादियों की तुलना में घटिया है।
3. रामन् के लिए नौकरी संबंधी कौन-सा निर्णय कठिन था?
उत्तर:- प्रसिद्ध शिक्षा शास्त्री सर आशुतोष मुखर्जी ने रामन के सामने प्रस्ताव रखा कि वे कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्रोफेसर का पद ग्रहण करें। उस समय रामन् सरकारी वित्त-विभाग में अफसर थे और सरकारी नौकरी की सुख-सुविधाओं और अच्छी तनख्वाह को छोड़ने का यह निर्णय लेना उनके लिए कठिन था।
4. सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् को समय-समय पर किन-किन पुरस्कारों से सम्मानित किया गया?
उत्तर:- रामन् प्रभाव की खोज करने पर सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् को निम्नलिखित पुरस्कार मिले-
भौतिकी में ‘नोबेल’ पुरस्कार, भारत रत्न, रोम का मेत्यूसी पदक, रॉयल सोसाइटी का ह्यूज़ पदक, फिलाडेल्फिया इंस्टिट्यूट का फ्रैंकलीन पदक, सोवियत रूस का अंतरराष्ट्रीय लेनिन पुरस्कार, रॉयल सोसाइटी की सदस्यता और ‘सर’ की उपाधि।
5. रामन् को मिलनेवाले पुरस्कारों ने भारतीय-चेतना को जाग्रत किया। ऐसा क्यों कहा गया है?
उत्तर:- रामन् को मिले सम्मानों ने भारतीयों को एक नया आत्म-सम्मान दिलाया, उनमें नया जोश और आत्मविश्वास पैदा किया। सब लोग उनसे प्रेरित हुए और सबके दिलों में देश-प्रेम व एकता की भावना बढ़ गई।
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए –
1. रामन् के प्रारंभिक शोधकार्य को आधुनिक हठयोग क्यों कहा गया है?
उत्तर:- रामन् के प्रारंभिक शोध कार्य को आधुनिक हठयोग इसलिए कहा गया है क्योंकि उन्होंने अनुकूल परिस्थितियों में भी अध्ययन और शोधकार्य नहीं छोड़ा और कलकत्ता की एक मामूली-सी प्रयोगशाला में कामचलाऊ उपकरणों का प्रयोग करके कड़ी-मेहनत, लगन और इच्छाशक्ति से अपना शोध कार्य किया। शोधकार्य के लिए अपनी सरकारी नौकरी को छोड़कर सरकारी सुख-सुविधाओं और अच्छी तनख्वाह का भी त्याग किया।
2. रामन् की खोज रामन् प्रभाव क्या है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:- जब एकवर्णीय प्रकाश की किरण के फोटोन तरल या ठोस रवे से गुजरते हुए किसी तरल या रवेदार पदार्थ से टकराते हैं; तो इस टकराव के परिणाम स्वरूप वे या तो ऊर्जा का कुछ अंश खो देते हैं या पा जाते हैं। दोनों ही स्थितियां प्रकाश के रंग में बदलाव लाती है। एकवर्णीय प्रकाश की किरणों में सबसे अधिक ऊर्जा बैंजनी रंग के प्रकाश में होती है। बैंजनी के बाद क्रमशः नीले, आसमानी, हरे, पीले, नारंगी और लाल वर्ण का नंबर आता है। इस प्रकार लाल वर्ण के प्रकाश कि ऊर्जा सबसे कम होती है। एकवर्णीय प्रकाश तरल या ठोस रवों से गुजरते हुए जिस परिणाम में खोता या पाता है, उसी हिसाब से उसका वर्ण परिवर्तित हो जाता है; और इसी को ‘रामन् प्रभाव’ कहते हैं।
3. ‘रामन् प्रभाव’ की खोज से विज्ञान के क्षेत्र में कौन-कौन से कार्य संभव हो सके?
उत्तर:- रामन् प्रभाव की खोज से विज्ञान के क्षेत्र में एक नई क्रांति आई। रामन् की इस खोज ने आइंस्टाइन की ‘फोटोन’ वाली धारणा का प्रमाण दे दिया। रामन की खोज की वजह से धातु की अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन पहले के मुकाबले काफ़ी आसान हो गया। इस काम के लिए इंफ्रा रेड स्पेक्ट्रोस्कॉपी का प्रयोग किया जाता था जो थोड़ा मुश्किल था। इससे विभिन्न पदार्थों का संश्लेषण वह अध्ययन प्रयोगशाला में करना तथा अनेक उपयोगी पदार्थों का कृत्रिम रूप से निर्माण बेहद आसान हो गया।
4. देश को वैज्ञानिक दृष्टि और चिंतन प्रदान करने में सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् के महत्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:- सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् का वैज्ञानिक व्यक्तित्व प्रयोगों और शोधपत्र-लेखन तक ही सिमटा हुआ नहीं था। उनके अंदर एक राष्ट्रीय चेतना थी और वे देश में वैज्ञानिक दृष्टि और चिंतन के विकास के प्रति समर्पित थे। उन्होंने देश में भौतिक शास्त्र को समृद्ध बनाने के लिए एक उन्नत प्रयोगशाला और शोध-संस्थान ‘रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट’ की बंगलोर में स्थापना की। उन्होंने ‘इंडियन जनरल ऑफ फिजिक्स’ नामक शोध पत्रिका भी प्रारंभ की तथा विज्ञान के प्रचार-प्रसार के लिए ‘करेंट साइंस’ नामक एक पत्रिका का संपादन भी किया।
5. सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् के जीवन से प्राप्त होने वाले संदेश को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:- सर चंद्रशेखर वेंकट रामन् ने अनुकूल परिस्थितियों व उपकरणों की कमी के बावजूद कड़ी-मेहनत, लगन और इच्छाशक्ति के साथ शोधकार्य जारी रखा। इससे हमें संदेश मिलता है की मैं बिना रुके लगातार अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ते रहना चाहिए। उन्होंने शोध कार्य के लिए अपनी सरकारी नौकरी का त्याग करके सबको यह प्रेरणा दी है कि पैसों और सुख-सुविधाओं से ज़्यादा महत्वपूर्ण शिक्षा है। उन्होंने हमें मुश्किल परिस्थितियों में डटे रहना सिखाया।
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 5 – Vaigyanik Chetna ke Vahak Chandrasekhara Venkata Raman
निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए –
1. उनके लिए सरस्वती की साधना सरकारी सुख-सुविधाओं से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण थी।
उत्तर:- सर रामन् ने विश्वविद्यालय में प्रोफेसर बनकर अध्ययन, अध्यापन और शोधकार्य को अपना पूरा समय देने का फैसला किया; जबकि उनके पास एक वित्त-विभाग में एक अच्छी-खासी सरकारी नौकरी थी, जिसमें उन्हें मोटी तनख्वाह और सुख सुविधाएं मिलती थी। लेकिन रामन् के लिए शिक्षा व ज्ञान, सुख-सुविधाओं से ज्यादा महत्वपूर्ण थी।
2. हमारे पास ऐसी न जाने कितनी ही चीज़ें बिखरी पड़ी हैं, जो अपने पात्र की तलाश में हैं।
उत्तर:- जिस प्रकार सर रामन् ने वाद्ययंत्रों के संगीत से और समुद्र की लहरों से वैज्ञानिक सिद्धांत खोज डालें; उसी प्रकार हमारे आसपास ऐसी बहुत सी चीजें हैं, जिनमें वैज्ञानिक रहस्य छुपे हैं और इन रहस्यों को ढूंढकर उन्हें एक नया रूप देने के लिए जरूरत है, रामन् जैसी वैज्ञानिक उत्सुकता और जिज्ञासा की।
3. यह अपने आपमें एक आधुनिक हठयोग का उदाहरण था।
उत्तर:- भौतिकी में रामन् का हमेशा से स्वभाविक रुझान था, इसलिए उन्होंने अनुकूल परिस्थितियों में भी शोधकार्य चालू रखा। वे रोज एक सच्चे साधक की तरह अपना दफ्तर का काम खत्म करके कोलकाता की एक मामूली-सी प्रयोगशाला के कामचलाऊ उपकरणों का इस्तेमाल करके अपना शोधकार्य करते थे। उन्होंने सुविधाओं की भरपूर कमी के बावजूद भी अपनी कड़ी-मेहनत, लगन और इच्छाशक्ति के बल पर शोधकार्य किया; जो एक तरह से आधुनिक हठयोग ही है।
उपयुक्त शब्द का चयन करते हुए रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए।
(इंफ़्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी, इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ़ साइंस, फिलॉसफिकल मैगज़ीन, भौतिकी, रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट)
- रामन् का पहला शोधपत्र………….में प्रकाशित हुआ था।
- रामन् की खोज……………के क्षेत्र में एक क्रांति के समान थी।
- कोलकाता की मामूली-सी प्रयोगशाला का नाम……………..था।
- रामन् द्वारा स्थापित शोध संस्थान……………नाम से जाना जाता है।
- पहले पदार्थो के अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन करने के लिए……………..का सहारा लिया जाता था।
उत्तर:-
- रामन् का पहला शोधपत्र फिलॉसफिकल मैगज़ीन में प्रकाशित हुआ था।
- रामन् की खोज भौतिकी के क्षेत्र में एक क्रांति के समान थी।
- कोलकाता की मामूली-सी प्रयोगशाला का नाम इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ़ साइंस था।
- रामन् द्वारा स्थापित शोध संस्थान रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट नाम से जाना जाता है।
- पहले पदार्थो के अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन करने के लिए इंफ़्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी का सहारा लिया जाता था।
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 5 – Vaigyanik Chetna ke Vahak Chandrasekhara Venkata Raman – भाषा-अध्ययन
1. नीचे कुछ समानदर्शी शब्द दिए जा रहे हैं जिनका अपने वाक्य में इस प्रकार प्रयोग करें, कि उनके अर्थ का अंतर स्पष्ट हो सके।
प्रमाण, प्रणाम ,धारणा ,धारण, पूर्ववर्ती, परवर्ती, परिवर्तन, प्रवर्तन।
उत्तर:-
(क). प्रमाण- प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती।
(ख) प्रणाम- रमा सदैव अपने से बड़ों को सादर प्रणाम करती है।
(ग) धारणा- परन्तु ऐसी धारणा का कोई आधार नहीं प्रतीत होता।
(घ) धारण- राज्यपाल लाभ का कोई अन्य पद धारण नहीं कर सकता।
(ङ) पूर्ववर्ती- उसने पूर्ववर्ती शासकों के सभी पद धारण किये।
(च) परवर्ती- यही पद्धति राम ने परवर्ती अध्यायों में भी अपनाई है।
(छ) परिवर्तन- समय के साथ हर चीज में परिवर्तन आता है।
(ज) प्रवर्तन- इस प्रकार, मूल अधिकारों के प्रवर्तन का तंत्र तथा उसकी क्रियाविधि भी संविधान में निर्धारित है।
2. रेखांकित शब्द के विलोम शब्द का प्रयोग करते हुए रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए –
(क) मोहन के पिता मन से सशक्त होते हुए भी तन से……….हैं।
(ख) अस्पताल के अस्थायी कर्मचारियों को…… रूप से नौकरी दे दी गई है।
(ग) रामन् ने अनेक ठोस रवों और ………पदार्थों पर प्रकाश की किरण के प्रभाव का अध्ययन किया।
(घ) आज बाज़ार में देशी और………………दोनों प्रकार के खिलौने उपलब्ध हैं।
(ङ) सागर की लहरों का आकर्षण उसके विनाशकारी रुप को देखने के बाद………..में परिवर्तित हो जाता है।
उत्तर:-
(क) मोहन के पिता मन से सशक्त होते हुए भी तन से अशक्त हैं।
(ख) अस्पताल के अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी रूप से नौकरी दे दी गई है।
(ग) रामन् ने अनेक ठोस रवों और तरल पदार्थों पर प्रकाश की किरण के प्रभाव का अध्ययन किया।
(घ) आज बाज़ार में देशी और विदेशी दोनों प्रकार के खिलौने उपलब्ध हैं।
(ङ) सागर की लहरों का आकर्षण उसके विनाशकारी रुप को देखने के बाद अनाकर्षण में परिवर्तित हो जाता है।
3. नीचे दिए उदाहरण में रेखांकित अंश में शब्द-युग्म का प्रयोग हुआ है –
उदाहरण : चाऊतान को गाने-बजाने में आनंद आता है।
उदाहरण के अनुसार निम्नलिखित शब्द-युग्मों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए-
सुख-सुविधा, अच्छा-खासा, प्रचार-प्रसार, आस-पास।
उत्तर:-
(क). सुख-सुविधा: अपने नाम के विपरीत साधु सांसारिक सुख-सुविधाओं को छोड़ने वाले इंसान कतई नहीं होते।
(ख). अच्छा-खासा: राष्ट्रीय कपड़ा निगम प्रतिवर्ष अच्छा खासा नुकसान उठा रहा है।
(ग). प्रचार-प्रसार: यहां पर हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए हिन्दी साहित्य सम्मेलन संस्थान है।
(घ). आस-पास: हम तालाब के आस-पास टहले।
4. प्रस्तुत पाठ में आए अनुस्वार और अनुनासिक शब्दों को नीचे लिखिए।
उत्तर:-
अनुस्वार – अंदर,रंग,प्रेसीडेंसी,संस्था,वेंकट रामन्।
अनुनासिक – ढूँढ़ते, जहाँ, जाएँ, पहुँचना, सुविधाएँ।
5. पाठ में निम्नलिखित विशिष्ट भाषा प्रयोग आए हैं। सामान्य शब्दों में इनका आशय स्पष्ट कीजिए-
घंटों खोए रहते, स्वाभाविक रुझान बनाए रखना, अच्छा-खासा काम किया, हिम्मत का काम था, सटीक जानकारी, काफ़ी ऊँचे अंक हासिल किए, कड़ी मेहनत के बाद खड़ा किया था, मोटी तनख्वाह
उत्तर:-
(क). घंटों खोए रहते: बहुत देर तक सोच विचार करते रहना।
(ख). स्वाभाविक रुझान बनाए रखना: स्वाभाविक रूप से रूचि रखना।
(ग). अच्छा-खासा काम किया: बहुत सारा मुश्किल और प्रगतिशील काम किया।
(घ). हिम्मत का काम था: बहुत मुश्किल का काम था।
(ड़). सटीक जानकारी: बिल्कुल सही और प्रमाणिक जानकारी।
(च). काफ़ी ऊँचे अंक हासिल किए: बहुत अच्छे अंक प्राप्त किए।
(छ). कड़ी मेहनत के बाद खड़ा किया था: बहुत मेहनत से शोध संस्थान खोला था।
(ज). मोटी तनख्वाह: बहुत अधिक वेतन।
6. पाठ के आधार पर मिलान कीजिए।
उत्तर:-
नीला – समुद्र
पिता – नींव
तैनाती – कलकत्ता
उपकरण – कामचलाऊ
घटिया – भारतीय वाद्ययंत्र
फोटॉन – रव
भेदन – वैज्ञानिक रहस्य
7. पाठ में आए रंगों की सूची बनाइए। इनके अतिरिक्त दस रंगों के नाम और लिखिए।
उत्तर:-
पाठ में आए रंग: नीला, बैंगनी, आसमानी, हरा, पीला, नारंगी, लाल।
अतिरिक्त रंग: सफेद, काला, गुलाबी, मेहरून, सलेटी, भूरा, सुनहरा, कत्थई, फिरोजी, स्लेटी।
8. नीचे दिए गए उदाहरण ‘ही’ का प्रयोग करते हुए पाँच वाक्य बनाइए।
उदाहरण : उनके ज्ञान की सशक्त नींव उनके पिता ने ही तैयार की थी।
उत्तर:-
(क). तुम्हें यह काम किसी भी हाल में कल तक पुरा करना ही पड़ेगा।
(ख). आखिर मुझे ही जाना पड़ेगा।
(ग). अब वह अकेला ही रह जाएगा।
(घ). चाहे इसके लिए तुम्हें नुकसान ही क्यों न झेलना पड़े।
(ड़). यह सब उसका ही है।
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh
- धूल – रामविलास शर्मा
- दुख का अधिकार – यशपाल
- एवरेस्ट : मेरी शिखर यात्रा – बचेंद्री पाल
- तुम कब जाओगे, अतिथि – शरद जोशी
- वैज्ञानिक चेतना के वाहक चंद्रशेखर वेंकट रामन् – धीरंजन मालवे
- कीचड़ का काव्य – काका कालेलकर
- धर्म की आड़ – गणेशशंकर विद्यार्थी
- शुक्रतारे के सामने – स्वामी आनंद
- अब कैसे छूटे राम, नाम…, ऐसी लाल तुझ बिन – रैदास
- दोहे – रहीम
- आदमी नामा – नजीर अकबराबादी
- एक फूल की चाह – सियारामशरण गुप्त
- गीत-अगीत – रामधारी सिंह दिनकर
- अग्निपथ – हरिवंश राय बच्चन
- नए इलाके में…, खुशबू रचते हैं हाथ… – अरुण कमल