NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 4 Tum Kab Jaoge Atithi

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 4 शरद जोशी (Sharad Joshi) – तुम कब जाओगे अतिथि (Tum kab Jaoge Atithi)

Textbook Hindi Class 9 Sparsh (स्पर्श भाग 1)
Chapter 4 – Tum kab Jaoge Atithi (तुम कब जाओगे अतिथि)
Author Sharad Joshi (शरद जोशी)
Khand Gadya Khand (गद्य- खंड)

Tum Kab Jaoge Atithi Class 9 Hindi Sparsh Question Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए।

1. अतिथि कितने दिनों से लेखक के घर पर रह रहा है?

उत्तर:- अतिथि चार दिनों से लेखक के घर पर रह रहा है।

2. कैलेंडर की तारीखें किस तरह फड़फड़ा रही है?

उत्तर:- कैलेंडर की तारीखें अपनी सीमा में नम्रता से फड़फड़ा रही है।

3. पति-पत्नी ने मेहमान का स्वागत कैसे किया?

उत्तर:- मेहमान का स्वागत करते समय पति एक स्नेह-भीगी मुस्कुराहट के साथ उससे गले मिला था और पत्नी ने उसे सादर नमस्ते किया था।

4. दोपहर के भोजन को कौन-सी गरिमा प्रदान की गई?

उत्तर:- दोपहर के भोजन को लंच की गरिमा प्रदान की गई।

5. तीसरे दिन सुबह अतिथि ने क्या कहा?

उत्तर:- तीसरे दिन सुबह अतिथि ने कहा कि वह धोबी को अपने कपड़े देना चाहता है।

6. सत्कार की उष्मा समाप्त होने पर क्या हुआ?

उत्तर:- सत्कार की उष्मा समाप्त होने पर डिनर खिचड़ी में परिवर्तित और सौहार्द बोरियत में परिवर्तित हो गया था।

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 4 Tum Kab Jaoge Atithi




निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-

1. लेखक अतिथि को कैसे विदाई देना चाहता था?

उत्तर:- लेखक चाहता था कि दूसरे ही दिन अतिथि शानदार मेहमाननवाजी़ की छाप अपने हृदय में लेकर चले जाए। वे उसे रोकने के लिए आग्रह करें, मगर वह उनकी बात ना मानकर एक अच्छे अतिथि की तरह सम्मानपूर्वक अपने घर लौट जाए।

2. पाठ में आए निम्नलिखित कथनों की व्याख्या कीजिए-

(क). अंदर ही अंदर कहीं मेरा बटुआ कांप गया।

(ख). अतिथि सदैव देवता नहीं होता, वह मानव और थोड़े अंशों में राक्षस भी हो सकता है।

(ग). लोग दूसरे के होम की स्वीटनेस को काटने न दौड़ें।

(घ). मेरी सहनशीलता की वह अंतिम सुबह होगी।

(ड़). एक देवता और एक मनुष्य अधिक देर साथ नहीं रहते।

उत्तर:-

(क). लेखक ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि आमतौर पर मेहमान के आने पर उसके मेहमाननवाजी़ में बहुत पैसे खर्च होते हैं, जिसके डर से उनका बटुआ कांप गया।

(ख). हमारे शास्त्रों में अतिथि को देवता बताया गया है क्योंकि मेहमान के आने पर सब खुश होते हैं और घर में उत्साह का माहौल रहता है; लेकिन वही देवता समान अतिथि राक्षसों की भांति बुरा लगने लग जाता है, अगर वह वापस लौटने का नाम भी ना ले और बहुत दिनों तक वही टिका रहे।

(ग). हर व्यक्ति चाहता है कि उसके घर में सुख-शांति बनी रहे और सब-कुछ सही व व्यवस्थित रूप से चलता रहे। लेकिन मेहमानों के आने से सभी सदस्यों का जीवन प्रभावित होता है, घर का संतुलन बिगड़ जाता है और सब कुछ अस्त-व्यस्त हो जाता है; इसीलिए लेखक ने कहा है कि लोगों को ज्यादा दिन तक किसी के घर अतिथि बनकर नहीं रहना चाहिए क्योंकि यह उनके घर की स्वीटनेस को काटने जैसा होगा।

(घ). अतिथि को लेखक के घर रहते पांच दिन होने वाले थे और इसलिए लेखक चाहता था कि अगले दिन अतिथि अपने घर लौटने का सम्मानपूर्ण निर्णय ले ले। अगर उसने ऐसा नहीं किया तो लेखक के सब्र का बांध टूट जाएगा और वह खुद उसे गेट-आउट बोल देगा।

(ड़). यह व्यंग्य लेखक में अतिथि के ऊपर किया है कि लेखक अतिथि को देवता माना जाता है और एक देवता होने के नाते उन्हें दर्शन देकर लौट जाना चाहिए। इसी से उनका देवत्व कायम रहेगा। देवता कभी मनुष्यों के साथ नहीं रहते।




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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए

1. कौन-सा आघात अप्रत्याशित था और उसका लेखक पर क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर:- अतिथि को लेखक के घर रहते चार दिन हो गए थे, इसलिए लेखक और उसकी पत्नी को पूरी आशा थी कि अब वे वापस लौटने का निर्णय जरूर ले लेंगे। लेकिन हुआ इसका बिल्कुल विपरीत; तीसरे दिन अचानक अतिथि ने धोबी को कपड़े देने की इच्छा जाहिर की। धोबी को कपड़े देने का सीधा अर्थ था कि अभी कुछ दिनों तक अतिथि वापस नहीं लौटेगा। यह एक अप्रत्याशित आघात था जिसकी चोट बहुत मार्मिक थी। इससे लेखक और उनकी पत्नी का गुस्सा और बढ़ गया था।

2. ‘संबंधों का संक्रमण के दौर से गुजरना’- इस पंक्ति से आप क्या समझते हैं? विस्तार से लिखिए।

उत्तर:- लेखक ने संबंधों में जो परिवर्तन आ रहा था उसे ही संबंधों का संक्रमण के दौर से गुजरना बताया है। अतिथि जब बहुत दिनों तक लेखक के घर से नहीं गया, तो उनका व्यवहार अतिथि के प्रति बदलने लग गया और उनके मन में जो सम्मान था वह धीरे-धीरे खीझ और परेशानी में बदल रहा था। सम्मान धीरे धीरे तिरस्कार में बदल रहा था और सौहार्द बोरियत में बदल रहा था। लेखक और उनकी पत्नी ने अतिथि की बहुत ही सम्मानपूर्ण तरीके से मेहमाननवाजी़ की थी; लेकिन जैसे-जैसे समय बीत रहा था सत्कार की उष्मा समाप्त हो रही थी।

3. जब अतिथि चार दिन तक नहीं गया तो लेखक के व्यवहार में क्या-क्या परिवर्तन आए?

उत्तर:- जब अतिथि चार दिन तक नहीं गया तो लेखक की अतिथि को देखकर फूट पड़ने वाली मुस्कुराहट धीरे-धीरे फीकी पड़ गई और आंखों के रंगीन गुब्बारे अब गायब हो चुके थे। अब उनके बीच बातचीत करने के सारे विषय खत्म हो चुके थे। सौहार्द धीरे-धीरे बोरियत में परिवर्तित हो गई थी और भावनाएं गालियां बन चुकी थी। मेहमान की मेहमाननवाजी़ के लिए उन्होंने रात के भोजन को उच्च-मध्यम वर्ग के डिनर में बदल लिया था, जो अब खिचड़ी तक पहुंच गया था और अगर अभी भी अतिथि अपने घर नहीं लौटता तो उन्हें उपवास रखना पड़ेगा। यहां तक कि लेखक अब इतना परेशान हो गए थे कि वह अतिथि को खुद गेट आउट बोलने वाले थे।




NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 4 Tum Kab Jaoge Atithi – भाषा-अध्ययन

1. निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्याय लिखिए-

 चांद, जिक्र, आघात, उष्मा, अंतरंग।

उत्तर:-

चांद : चंद्रमा, शशि।

जिक्र : उल्लेख, वर्णन।

आघात : प्रहार, हमला।

उष्मा : गर्मी, ताप।

अंतरंग : भीतरी, आंतरिक।

2. निम्नलिखित वाक्यों को निर्देशानुसार परिवर्तित कीजिए-

(क). हम तुम्हें स्टेशन तक छोड़ने जाएंगे। (नकारात्मक वाक्य)

(ख). किसी लॉन्ड्री पर दे देते हैं, जल्दी धुल जाएंगे। (प्रश्नवाचक वाक्य)

(ग). सत्कार की उष्मा समाप्त हो रही थी। (भविष्यत् काल)

(घ). इनके कपड़े देने हैं। (स्थानसूचक प्रश्नवाची)

(ड़). कब तक टिकेंगे ये? (नकारात्मक)

उत्तर:-

(क). हम तुम्हें स्टेशन तक छोड़ने नहीं जाएंगे।

(ख). जल्दी धुलवाने के लिए क्या हम कपड़े लॉन्ड्री पर दे दें?

(ग). सत्कार की उष्मा समाप्त हो जाएगी।

(घ). इनके कपड़े वहां देने है।

(ड़). ये अब नहीं टिकेंगे।

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh

  1. धूल – रामविलास शर्मा
  2. दुख का अधिकार – यशपाल
  3. एवरेस्ट : मेरी शिखर यात्रा – बचेंद्री पाल
  4. तुम कब जाओगे, अतिथि – शरद जोशी
  5. वैज्ञानिक चेतना के वाहक चंद्रशेखर वेंकट रामन् – धीरंजन मालवे
  6. कीचड़ का काव्य – काका कालेलकर
  7. धर्म की आड़ – गणेशशंकर विद्यार्थी
  8. शुक्रतारे के सामने – स्वामी आनंद
  9. अब कैसे छूटे राम, नाम…, ऐसी लाल तुझ बिन – रैदास
  10. दोहे – रहीम
  11. आदमी नामा – नजीर अकबराबादी
  12. एक फूल की चाह – सियारामशरण गुप्त
  13. गीत-अगीत – रामधारी सिंह दिनकर
  14. अग्निपथ – हरिवंश राय बच्चन
  15. नए इलाके में…, खुशबू रचते हैं हाथ… – अरुण कमल

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