NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 1 – Dhul

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 1 – Dhool (धूल) – Ramvilas Sharma (रामविलास शर्मा) 

Textbook Hindi Class 9 Sparsh (स्पर्श भाग 1)
Chapter 1 – Dhool (धूल)
Author Ramvilas Sharma (रामविलास शर्मा)
Khand Gadya Khand (गद्य- खंड)

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक दो पंक्तियों में दीजिए-

1. हीरे के प्रेमी उसे किस रूप में पसंद करते हैं?

उत्तर:- हीरे की प्रेमी उसे साफ-सुथरा, खरादा हुआ वह आंखों में चकाचौंध पैदा करता हुआ ही पसंद करते हैं।

2. लेखक ने संसार में किस प्रकार के सुख को दुर्लभ माना है?

उत्तर:- लेखक ने अखाड़े की मिट्टी को पवित्र बताया है और उनके अनुसार अखाड़े की, उस तेल और मट्ठे से सिझाई हुई, मिट्टी को अपने शरीर पर मलना वह उसमें लोटने का सौभाग्य पाना दुर्लभ है।

3. मिट्टी की आभा क्या है? उसकी पहचान किससे होती है?

उत्तर:- धूल को ही मिट्टी की आभा माना गया है और धूल से ही मिट्टी की पहचान होती है।

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 1 – Dhul

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-

1. धूल के बिना किसी शिशु की कल्पना क्यों नहीं की जा सकती?

उत्तर:- धूल में लिपटा हुआ शिशु का मुख बहुत ही मनमोहक प्रतीत होता है और जब शिशु अपनी मातृभूमि की गोद में खेलता है, तब उसके मुख-मंडल पर छाई हुई धूल उसका सौंदर्य प्रसाधन बनकर उसके मुख की आभा वह उसकी पार्थिवता को और निखार देती है। इसीलिए शिशु की कल्पना धूल के बिना नहीं की जा सकती।




2. हमारी सभ्यता धूल से क्यों बचना चाहती है?

उत्तर:- हमारी सभ्यता धूल के संसर्ग से इसलिए बचना चाहती है क्योंकि वह बनावटी व प्रशासनिक सौंदर्य को ज्यादा महत्व देती है। वह धूल को हीनभावना से देखती है और उसे ‘मेला’ कहकर संबोधित करती है। हमारी सभ्यता जमीन को छोड़कर आसमान में घर बनाना चाहती है और खुदको व अपने बच्चों को धूल से दूर रखना चाहती है।

3. अखाड़े की मिट्टी की क्या विशेषता होती है?

उत्तर:- प्रस्तुत पाठ में अखाड़े की मिट्टी को पवित्र व असाधारण बताया गया है, जिसका स्पर्श पाना सौभाग्य की बात माना गया है। अखाड़े की मिट्टी को तेल और मट्ठे से सिझा जाता है। पहलवान उसकी पूजा करते हैं वह उसे देवताओं पर भी चढ़ाते हैं। वे अखाड़े की मिट्टी में चित्त होने व उसमें लौटने-पड़ने पर भी स्वयं को विश्वविजयी समझते हैं।

4. श्रद्धा, भक्ति, स्नेह की व्यंजना के लिए धूल सर्वोत्तम साधन किस प्रकार है?

उत्तर:– एक योद्धा के लिए अपनी मातृभूमि सर्वोपरि होती है और इसीलिए वह धूल को अपने माथे से लगाकर अपनी भक्ति व श्रद्धा को दर्शाता है। सती भी अपने प्रेम को याद करके धूल को अपने माथे से लगाकर अपने स्नेह को दर्शाती है। इस प्रकार धूल को इनकी व्यंजना के लिए सर्वोत्तम साधन बताया गया है।

5. इस पाठ में लेखक ने नगरीय सभ्यता पर क्या व्यंग्य किया है?

उत्तर:- प्रस्तुत पाठ में लेखक ने धूल के प्रति नगरीय सभ्यता के दृष्टिकोण को हास्यास्पद बताया है व उसपर व्यंग्य किया है कि नगरीय सभ्यता धूल के संसर्ग से बचने के लिए आसमान में घर बनाना चाहती है और वह धूल को ‘मेला’ व ‘गंदा’ जैसे शब्दों से संबोधित करती है। नगरीय सभ्यता धूल की प्राकृतिक आभा को छोड़कर कृतिम व बनावटी श्रंगार पर जोर देती है। उन्हें चमकते हुए हीरे अच्छे लगते हैं, धूल में सने हुए हीरे नहीं।

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 1 – Dhool

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-

1. लेखक ‘बालकृष्ण’ के मुंह पर छाई गोधूलि को श्रेष्ठ क्यों मानता है?

उत्तर:- लेखक के अनुसार शिशु धूल से सने उन हीरो की तरह है जिनका सौंदर्य दूर से ही निखरता है। जिस प्रकार फूलों पर रेणु उनका श्रृंगार बनती है, उसी प्रकार धूल भी शिशु की पार्थिवता को निखारती है। जब शिशु मिट्टी में बालक्रिड़ाए करता है और धूल उसके मुख व बदन पर लग जाती है, तब वह उसका सौंदर्य प्रसाधन बनती है। धूल से सना हुआ बालकृष्ण का मुख बहुत ही मनमोहक लगता है और इसीलिए लेखक ने बालकृष्ण के मुंह पर छाई गोधूलि को श्रेष्ठ माना है।




2. लेखक ने धूल और मिट्टी में क्या अंतर बताया है?

उत्तर:- धूल और मिट्टी में इतना ही अंतर है जितना कि, शब्द व रस में है, देह व प्राण में है और चांद ने चांदनी में है। मिट्टी और धूल एक दूसरे के पूरक है एक के बिना दूसरे का कोई अस्तित्व नहीं है मिट्टी की आभा होती है वह दूर से ही मिट्टी की पहचान होती है।

3. ग्रामीण परिवेश में प्रकृति धूल के कौन-कौन से सुंदर चित्र प्रस्तुत करती हैं?

उत्तर:- ग्रामीण परिवेश में प्रकृति धूल के निम्नलिखित मनमोहक व सुंदर चित्र प्रस्तुत करती है-

  1. संध्या के समय जब अमराईयों के पीछे छुपे सूर्य की किरणें, उठी हुई धूल पर पड़ती है, तब धूल सोने-सी चमक उठती है।
  2. सूर्यास्त के समय लीक पर गाड़ी के निकल जाने के बाद की उठी हुई धूल रूई के बादल-सी प्रतीत होती है तथा ऐरावत हाथी के नक्षत्र-पथ की भांति वहीं स्थिर रह जाती है।
  3. चांदनी रात में मेले जाने वाली गाड़ियों के पीछे धूल कवि- कल्पना की भांति उड़ती है।
  4. धूल शिशु के मुख पर फूल की पंखुड़ियों सी छा जाती है और उसके सौंदर्य को निखारती है।

4. ‘हीरा वही घन चोट न टूटे’- का संदर्भ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:- इस वाक्य से लेखक का आशय है कि असली हीरा वही है जो हथौड़े की चोट से भी ना टूटे व उसकी हर मार सहकर अपनी गुणवत्ता का प्रमाण दे। ठीक इसी प्रकार गांव का प्राकृतिक व गर्दभरा सौंदर्य भी हीरे के समान ही पवित्र है; तथा नगरीय सभ्यता, जिसमें कृत्रिम व बनावटी सौंदर्य को महत्व दिया जाता है, वह कांच की तरह है; जो मुश्किलों की एक मार से ही टूट कर बिखर जाता है।

5. धूल, धूलि, धूली, धूरि और गोधूलि की व्यंजनों को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:- धूल, धूलि, धूली, धूरि, गोधूलि, आदि की रचनाएं अलग-अलग है। धूल जीवन का यथार्थवादी गद्य है; धूलि उसकी कविता है; धूली छायावादी दर्शन है, जिसकी वास्तविकता संदिग्ध है और धूरि लोक-संस्कृति का नवीन जागरण है; एवं इन सबसे परे गोधूलि गो-गोपालों के पदों से उत्पन्न होने वाली धूल है, जो ग्रामीण जीवन की अपनी संपत्ति है। इन सबका रंग एक ही है, सिर्फ रूप में भिन्नता है।

6. ‘धूल’ पाठ का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:- प्रस्तुत पाठ में लेखक ने धूल का महत्व बताया है। हमारी संस्कृति धूल को अत्यधिक महत्वपूर्ण बताती है, क्योंकि हमारा शरीर भी उसी का बना हुआ है। हमारे पूर्वज धूल को माथे से लगाकर अपने मन के भावों को प्रकट करते थे; लेकिन आजकल की नगरीय सभ्यता धूल से बचना चाहती है व उससे हीनभावना रखती है; जोकि सही नहीं है। ग्रामीण जीवन में धूल को अभी भी बहुत महत्व दिया जाता है और इसीलिए गांव का धूलि-भरा माहौल बेहद मनमोहक लगता है।

7. कविता को विडंबना मानते हुए लेखक ने क्या कहा है?

उत्तर:- जब पुस्तक विक्रेता ने लेखक को गोधूलि की बेला में आने का निमंत्रण पत्र दिया तब कवि को यह कविता की विडंबना लगी क्योंकि शहर के धूल-धक्कड़ को और हाथी-घोड़ों के पग-संचालन से उत्पन्न होने होने वाली धूल को गोधूलि बताया गया था; जबकि गोधूलि तो गांव में गो-गोपालों के पदों से उत्पन्न हुई धूल होती है। लेखक के अनुसार इतने सारे कवियों ने गोधूलि पर अपनी कलम तोड़ी है, लेकिन वह असली गोधूलि नहीं है, क्योंकि गोधूलि तो गांव की अपनी संपत्ति है; जो शहरों के हिस्से नहीं पड़ी।

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 1 – Dhool

निम्नलिखित की आशय स्पष्ट कीजिए-

1. फूल के ऊपर जो रेणु उसका श्रंगार बनती है, वही धूल शिशु के मुंह पर उसकी सहज पार्थिवता को निखार देती है।

उत्तर:- इन पंक्तियों से लेखक का आशय है कि जिस प्रकार एक फूल पर गिरी हुई कुछ धूल उसकी सुंदरता को और निखार देती है; उसी प्रकार एक शिशु के मुख पर लगी धूल उसका सौंदर्य-प्रसाधन बन जाती है। इससे उसके मुख की सुंदरता और भी बढ़ जाती है।

2. ‘धन्य-धन्य वे हैं नर मैले जो करत गात कनिया लगाय धूरी ऐसे लरिकान की’- लेखक इन पंक्तियों द्वारा क्या कहना चाहता है?

उत्तर:- इन पंक्तियों का आशय है कि धन्य है वे नर, जो धूल से सने व मेले हुए शिशु को भी गले से लगाते है। लेखक के अनुसार इन पंक्तियों में ‘धन्य-धन्य’ से कवि अपना बड़प्पन विज्ञापित करना चाहता है; फिर ‘मैले’ शब्द से अपनी हीनभावना व्यक्त करता है और अंत में ‘ऐसे लरिकान’ कहकर अपनी भेद-बुद्धि का परिचय देता है।

3. मिट्टी और धूल में अंतर है, लेकिन उतना ही, जितना शब्द और रस में, देह और प्राण में, चांद और चांदनी में।

उत्तर:- इन पंक्तियों द्वारा लेखक मिट्टी और धूल के बीच के अंतर के बारे में बताता है। उसके अनुसार मिट्टी और धूल एक दूसरे के पूरक है और एक के बिना दूसरे का कोई अस्तित्व नहीं है। जिस प्रकार रस के बिना शब्द का कोई महत्व नहीं है; प्राण के बिना देह का कोई अस्तित्व नहीं है और चांदनी के बिना चांद का कोई अस्तित्व नहीं है; उसी प्रकार धूल के बिना मिट्टी का भी कोई महत्व नहीं हो सकता।

4. हमारी देशभक्ति धूल को माथे से न लगाए तो कम-से-कम उस पर पैर तो रखे।

उत्तर:- हमारी संस्कृति धूल को अत्यधिक महत्वपूर्ण बताती है और इसीलिए योद्धा अपने देश के प्रति अपनी भक्ति और अपनी आस्था को प्रकट करने के लिए अपनी मातृभूमि की धूल को अपने माथे से लगाते थे; लेकिन आजकल की नगरीय सभ्यता धूल को हीनभावना से देखती है और इसीलिए उपरोक्त में लेखक कहना चाहते हैं कि चाहे वे धूल को माथे से ने लगाए पर कम-से-कम उसे पैरों से तो स्पर्श करे।

5. वे उलटकर चोट भी करेंगे और तब कांच और हीरे का भेद जानना बाकी न रहेगा।

उत्तर:- प्रस्तुत पाठ में लेखक ने कांच के माध्यम से नगरीय सभ्यता और हीरे के माध्यम से ग्रामीण सभ्यता का वर्णन किया है। हीरे की तरह ग्रामीण जीवन मजबूत व सदृढ़ होता है; वही कांच की तरह नगरीय सभ्यता भी बनावटी व कृत्रिम होती है। लेखक के अनुसार जब समय का हथोड़ा पलटकर वार करेगा, तब कांच और हीरे का भेद अपने-आप ही पता चल जाएगा।




NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 1 – Dhool – भाषा-अध्ययन

1. निम्नलिखित शब्दों के उपसर्ग छांटिए- संसर्ग, उपमान, संस्कृति, दुर्लभ, निर्द्वंद्व, प्रवास, दुर्भाग्य, अभिजात, संचालन।

उत्तर:-

संसर्ग = सम् + सर्ग
उपमान  = उप+ मान
संस्कृति  = सम् + स्कृति
दुर्लभ  = दुर् + लभ
निर्द्वंद्व  = निर् + द्वंद्व
प्रवास  = प्र + वास
दुर्भाग्य  = दुर् + भाग्य
अभिजात  = अभि + जात
संचालन  =सम् + चालन

2. लेखक ने इस पाठ में धूल चूमना, धूल माथे पर लगाना, धूल होना जैसे प्रयोग किए हैं। धूल से संबंधित अन्य पांच प्रयोग और बताइए, तथा उन्हें वाक्य में प्रयोग कीजिए।

उत्तर:-

(क). धूल में मिलना: उसकी मेहनत की कमाई एक छोटी सी गलती की वजह से धूल में मिल गई।
(ख). धूल चटाना: शाम अखाड़े में अपने हर प्रतिद्वंदी को धूल चटाता है।
(ग). धूल झोंकना: रमेश अपने घर वालों से दूर रहकर पढ़ाई से जी चुरा रहा है और अपने गरीब मां-बाप की आंखों में धूल झोंक रहा है।
(घ). धूल डालना: गलती करके बाद में सिर पर धूल डालने से कोई फायदा नहीं होता।
(ड़). धूल छानना: नौकरी के लिए राहुल इधर-उधर धूल छानता फिर रहा है।

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh

  1. धूल – रामविलास शर्मा
  2. दुख का अधिकार – यशपाल
  3. एवरेस्ट : मेरी शिखर यात्रा – बचेंद्री पाल
  4. तुम कब जाओगे, अतिथि – शरद जोशी
  5. वैज्ञानिक चेतना के वाहक चंद्रशेखर वेंकट रामन् – धीरंजन मालवे
  6. कीचड़ का काव्य – काका कालेलकर
  7. धर्म की आड़ – गणेशशंकर विद्यार्थी
  8. शुक्रतारे के सामने – स्वामी आनंद
  9. अब कैसे छूटे राम, नाम…, ऐसी लाल तुझ बिन – रैदास
  10. दोहे – रहीम
  11. आदमी नामा – नजीर अकबराबादी
  12. एक फूल की चाह – सियारामशरण गुप्त
  13. गीत-अगीत – रामधारी सिंह दिनकर
  14. अग्निपथ – हरिवंश राय बच्चन
  15. नए इलाके में…, खुशबू रचते हैं हाथ… – अरुण कमल

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