NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 4 – Ahi Thaiya Jhulni Herani ho Rama

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 4 – Ahi Thaiya Jhulni Herani ho Rama – एही ठैयाँ झुलनी हैरानी हो रामा!

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 4 तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र have been explained in a simple and easy to understand language in order to create NCERT Solutions for Class 10 series. Here we are sharing NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 4 Ahi Thaiya Jhulni Herani ho Rama Question Answers.


Textbook Hindi Class 10 Kritika (कृतिका भाग 2)
Chapter 4 – Ahi Thaiya Jhulni Herani Ho Rama (एही ठैयाँ झुलनी हैरानी हो रामा!)
Author Shiv Prasad Mishra ‘Rudra’ (शिव प्रसाद मिश्र ‘रूद्र’)

प्रश्न अभ्यास

1. हमारी आज़ादी की लड़ाई में समाज के उपेक्षित माने जाने वाले वर्ग का योगदान भी कम नहीं रहा है। इस कहानी में ऐसे लोगों के योगदान को लेखक ने किस प्रकार उभारा है?

उत्तर:- हमारी आजादी की लड़ाई में प्रत्येक धर्म व वर्ग के लोगों ने अपना योगदान दिया था। सभी भारतवासियों के एकसाथ आने से ही अंग्रेजों को हराना संभव हो पाया था। प्रस्तुत कहानी में लेखक ने एक गौनहारिन के योगदान का वर्णन किया है, जो लोगों के सामने नाच-गाकर अपना गुजारा करती थी। जब पुलिस का मुखबिर फेकू सिंह दुलारी को विदेशी साड़ियों का बंडल लाकर देता है, तब वह ‘स्वदेशी अपनाओ आंदोलन’ के तहत उन सभी साड़ियों को जलाने के लिए दे देती है। दुलारी का यह कृत्य उसके अंदर की क्रांतिकारी भावनाओं को दर्शाता है। दुलारी ने यह कदम उठाकर दूसरों को प्रेरित किया।

2. कठोर हृदय समझी जाने वाली दुलारी टुन्नू की मृत्यु पर क्यों विचलित हो उठी?

उत्तर:- चुन्नू की मृत्यु की खबर सुनकर दुलारी स्तब्ध हो गई। किसी भी बात पर न पसीजने वाला दुलारी का हृदय कातर हो उठा और सदैव मरूभूमि की तरह धूं-धूं जलने वाली उसकी आंखों में मेघमाला घिर आई। दुलारी अपने कृकश और कठोर व्यवहार के लिए जानी जाती थी, लेकिन टुन्नू की मृत्यु पर उसका मन विचलित हो उठा; क्योंकि उसके मन में टुन्नू के प्रति प्रेम की भावनाएं थी। टुन्नू ने उसके मन में एक अलग स्थान बना लिया था और इस प्रकार टुन्नू के चले जाने से उसे आहत लगा था।

3. कजली दंगल जैसी गतिविधियों का आयोजन क्यों हुआ करता होगा? कुछ और परंपरागत लोक आयोजनों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर:- कजली तीज के अवसर पर गाया जाने वाला एक लोकगीत है। इसमें दो पक्षों के बीच संगीत युद्ध होता है। कजली दंगल जैसी गतिविधियों का आयोजन विशेषतः लोगों का मनोरंजन के लिए होता है। इनके माध्यम से आसानी से लोगों को एक जगह इकट्ठा करके प्रचार-प्रसार किया जाता है। इस प्रकार के आयोजन लोगों में भाईचारे और एकता की भावना जागृत करते हैं। इनके माध्यम से लोगों में सामाजिक कुरीतियों को खत्म करने को लेकर जागरूकता फैलाई जाती है।

तमाशा, नौटंकी, स्वांग, गवरी, मेले, रामलीला, रासलीला, रम्मत, ख्याल, आदि ऐसे कुछ अन्य लोक-आयोजन है जो राजस्थान के विभिन्न इलाकों में बहुत मशहूर है।

4. दुलारी विशिष्ट कहे जाने वाले सामाजिक-सांस्कृतिक दायरे से बाहर है फिर भी अति विशिष्ट है। इस कथन को ध्यान में रखते हुए दुलारी की चारित्रिक विशेषताएं लिखिए।

उत्तर:- दुलारी विशिष्ट कहे जाने वाले सामाजिक-सांस्कृतिक दायरे से बाहर है फिर भी अति विशिष्ट है। इस कथन को दुलारी की निम्नलिखित चारित्रिक विशेषताएं सिद्ध करती है-

  • कजली गायन में निपुण : दुक्कड़ पर गानेवालियों में दुलारी की महती ख्याति थी। कजली गाने वाले बड़े-बड़े विख्यात शायरों की उससे कोर दबती थी। कजली-दंगल में खोजवां वालों ने उसे अपनी ओर से खड़ा करके अपनी जीत सुनिश्चित समझ ली थी।
  • देशभक्ति की भावना : दुलारी ने एक सच्चे देशभक्त की तरह विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करते हुए फेंकू सिंह द्वारा भेंट में मिली विदेशी साड़ियों के पूरे बंडल को जलाने के लिए फेंक दिया।
  • कठोर स्वभाव : दुलारी अपने प्रकाश व कठोर स्वभाव के लिए जानी जाती थी वह कुछ भी गलत होता देख सहन नहीं कर पाती थी।
  • कोमल हृदय : टुन्नू की मृत्यु से दुलारी का मन कातर हो उठा। वह अपने मन की भावनाओं को रोक नहीं पाई और अपने पड़ोसियों के सामने विलाप करने लग गई।

5. दुलारी का टुन्नू से पहली बार परिचय कहां और किस रूप में हुआ?

उत्तर:- दुलारी का टुन्नू से परिचय दीजिए त्यौहार पर आयोजित दंगल कजली मैं हुआ था उसमें दुलारी खोजना गांव की तरफ से गा रही थी और टुन्नू उसके विपरीत व जिला वालों की ओर से गा रहा था यही दोनों की पहली मुलाकात में परिचय हुआ था। अपनी मधुर आवाज में टुन्नू दुलारी से होड़ कर रहा था और दुलारी उस पर मंत्रमुग्ध हो गई थी।

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 4 – Ahi thaiya jhulni herani ho rama

6. दुलारी का टुन्नू को यह कहना कहां तक उचित था- “तैं सरबउला बोल ज़िन्नगी में कब देखले लोट?…..!” दुलारी के आपेक्ष में आज के युवा वर्ग के लिए क्या संदेश छिपा है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:- तीज के अवसर पर आयोजित कजली-दंगल के आयोजन पर दुलारी टुन्नू की नोटों वाली बात के जवाब में कहती है- “तैं सरबउला बोल ज़िन्नगी में कब देखले लोट?…..!” इन पंक्तियों के माध्यम से दुलारी टुन्नू को कह रही थी कि तेरे पिताजी तो घाट पर पूजा पाठ करवाते हैं और कोड़ी-कोड़ी बटोरकर जीवन यापन करते हैं। इसलिए बढ़-चढ़कर बोल मत बोल, कोढ़ियल, तूने जीवन में नोट कब देख लिए?

दुलारी के आपेक्ष में आज के युवा वर्ग के लिए संदेश है कि उन्हें कभी भी बड़ी-बड़ी बातें नहीं बोलनी चाहिए। व्यक्ति को अपनी औकात का पता होना चाहिए और उसी के अनुसार उसे बातें करनी चाहिए; क्योंकि व्यक्ति का वक्त बदलते देर नहीं लगती, बढ़ा-चढ़ाकर की गई बातें व्यक्ति को मुश्किल में डाल सकती है और उसे बेइज्जती का सामना करना पड़ सकता है।

7. भारत के स्वाधीनता आंदोलन में दुलारी और टुन्नू ने अपना योगदान किस प्रकार दिया?

उत्तर:- भारत के स्वाधीनता आंदोलन में दुलारी और टुन्नू ने अपना-अपना संपूर्ण योगदान दिया। टुन्नू ने दुलारी को भेंट में विदेशी कपड़े की साड़ी की बजाय खादी की साड़ी दी। वह विदेशी वस्त्रों को जलानेवालों के जुलूस का हिस्सा था। ऐसे ही एक जुलूस में टुन्नू ने पुलिस के जमादार से मार खाते खाते-खाते अपने प्राणों का बलिदान कर दिया। वहीं दुलारी ने भी अपनी देशभक्ति की भावनाओं के चलते भेंट में मिली नई महंगी विदेशी साड़ियों को जलाने के लिए फेंक दिया और टुन्नू की मृत्यु पर सरकारी कार्यक्रम में भी दुलारी ने टुन्नू द्वारा दी गई खादी की साड़ी पहनी।

8. दुलारी और टुन्नू के प्रेम के पीछे उनका कलाकार मन और उनकी कला थी? यह प्रेम दुलारी को देशप्रेम तक कैसे पहुंचाता है?

उत्तर:- दुलारी और टुन्नू की पहली मुलाकात व परिचय कजली-दंगल के अवसर पर हुआ था। वहां टुन्नू की गायन कला पर दुलारी मंत्रमुग्ध हो गई थी। टुन्नू के मन में भी दुलारी के लिए प्रेम की भावनाएं उत्पन्न हो गई थी, जिनका अहसास दुलारी को उसी दिन हो गया था। टुन्नू ने कृकश व कठोर दुलारी के कोमल हृदय में प्रेम की भावनाएं जगाई थी और अपने लिए एक विशेष स्थान बना लिया था। इसीलिए यह कहा जा सकता है कि दुलारी और टुन्नू के प्रेम के पीछे उनका कलाकार मन और उनकी कला थी। टुन्नू आजादी की लड़ाई लड़ते-लड़ते अपने प्राण त्याग देता है। इससे दुलारी के मन में अंग्रेजों के प्रति नफरत पैदा हो जाती हैं। टुन्नू से भेंट में मिली खादी की साड़ी को अपने लिए संदेश मानकर दुलारी भी विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार कर देती है।

9. जलाए जाने वाले विदेशी वस्त्रों के ढेर में अधिकांश वस्त्र फटे-पुराने थे परंतु दुलारी द्वारा विदेशी मिलों में बनी कोरी साड़ियों का फेंका जाना उसकी किस मानसिकता को दर्शाता है?

उत्तर:- क्रांतिकारियों द्वारा फैलाई हुई उस चादर में अब तक जितने भी वस्त्रों का संग्रह हुआ था, वे सभी फटे-पुराने थे; परंतु दुलारी द्वारा फेंके गए विदेशी साड़ियों के बंडल में सभी साड़ियां एकदम नई थी। दुलारी का यह कदम उसकी क्रांतिकारी व दृढ़ निश्चयी मानसिकता को दर्शाता है। इससे उसके मन के देशप्रेम का पता चलता है।

10. “मन पर किसी का बस नहीं; वह रूप या उमर का कायल नहीं होता।” टुन्नू के इस कथन में उसका दुलारी के प्रति किशोर जनित प्रेम व्यक्त हुआ है परंतु उसके विवेक ने उसके प्रेम को किस दिशा की ओर मोड़ा?

उत्तर:- “मन पर किसी का बस नहीं; वह रूप या उमर का कायल नहीं होता।” टुन्नू के इस कथन में उसका दुलारी के प्रति किशोर जनित प्रेम व्यक्त हुआ है। यह बात उसने तब कही थी जब वह सौलह-सत्रह साल का था और दुलारी यौवन के अस्ताचल पर खड़ी थी। टुन्नू ने कभी भी दुलारी के सामने अपनी भावनाएं जाहिर नहीं की क्योंकि उसे दुलारी के शरीर का लोभ नहीं था। टुन्नू ने दुलारी से प्रतिदान में कभी कुछ नहीं मांगा, लेकिन फिर भी दुलारी हमेशा उसकी उपेक्षा करती थी। टुन्नू के विवेक ने उसके प्रेम को देशभक्ति की ओर मोड़ दिया। उसके मन में देशभक्ति की भावना जागृत हो उठी, जिसके चलते वह विभिन्न प्रकार के जुलूसों और क्रांतिकारी गतिविधियों का हिस्सा रहा। ऐसे ही एक जुलूस में पुलिस के जमादार के हाथों उसकी मृत्यु हो गई। टुन्नू ने देशप्रेम में अपने प्राणों को बलिदान कर दिया।

11. ‘एही ठैयां झुलनी हेरानी हो रामा!’ का प्रतिकार्थ समझाइए।

उत्तर:- प्रस्तुत वाक्य महाराष्ट्र की लोकभाषा में रचित गीत की एक पंक्ति है जिसका अर्थ है इसी स्थान पर मेरे नाक की नथनी खो गई है। महाराष्ट्र में नाक की नथनी व लौंग को सुहाग का प्रतीक माना जाता है। प्रस्तुत पंक्ति के माध्यम से दुलारी यह कहना चाहती थी कि इसी स्थान पर मेरा प्रियवर खो गया है यानी मेरा सुहाग लुट गया है। दुलारी ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि उसी स्थान पर टुन्नू की हत्या की गई थी।

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