Swar Sandhi or Swar Sandhi ke bhed in Hindi Grammar – स्वर संधि के भेद – दीर्घ संधि, गुण संधि, वृद्धि संधि, यण संधि, अयादि संधि
स्वर संधि की परिभाषा
दो स्वरों के मेल से जो परिवर्तन होता है, उसे स्वर संधि कहते हैं |
स्वर संधि के भेद ( Swar Sandhi ke bhed in Hindi)
(1) दीर्घ संधि
(2) गुण संधि
(3) वृद्धि संधि
(4) यण संधि
(5) अयादि संधि
दीर्घ संधि
जब हृस्व या दीर्घ अ, इ, उ के बाद क्रमश: हृस्व अथवा दीर्घ अ, इ, उ स्वर आए तो दोनों के मेल से क्रमश: ये “आ, ई और “उ” हो जाते हैं |
आ + अ = आ
अ + अ = आ
अ + आ = आ
आ + आ = आ
इ + इ = ई
इ + ई = ई
ई + ई = ई
ई + इ = ई
उ + उ = ऊ
उ + ऊ = ऊ
ऊ + उ = ऊ
ऊ + ऊ = ऊ
गुण संधि
यदि ‘अ’ या ‘आ’ के बाद ‘इ’ या ‘ई’ आए तो दोनों मिलकर ‘इ’, ‘उ’ या ‘ऊ’ आए तो ‘ओ’, ‘ऋ’ आए तो ‘अर’ हो जाता है |
अ + इ = ए
अ + ई = ए
आ + इ = ए
आ + ई = ए
अ + उ = ओ
अ + ऊ = ओ
आ + उ = ओ
आ + ऊ = ओ
अ + ऋ = अर्
आ + ऋ = अर्
वृद्धि संधि
जब ‘अ’ या ‘आ’ के बाद ‘ए’ या ‘ऐ’ आए तो दोनों के मेल से “ऐ” और “ओ” या “औ” हो जाता है |
अर्थात्
अ + ए = ऐ
अ + ऐ = ऐ
आ + ऐ = ऐ
आ + ए = ऐ
अ + ओ = ओ
अ + औ = औ
आ + ओ = औ
आ + औ = औ
यण संधि
यदि हृस्व या दीर्घ ‘इ’, ‘उ’ या ‘ऋ’ के बाद कोई असमान स्वर आए तो उनके मेल से ‘इ’ या ‘ई’ का ‘य’, ‘उ’ या ‘ऊ’ का ‘व’ और ‘ऋ’ का ‘र’ हो जाता है |
इ + अ = य
इ + आ = या
ई + अ = य
ई + आ = या
इ + उ = यु
इ + ऊ = यू
ई + उ = यु
ई + औ = यौ
उ + अ = व
उ + आ = वा
उ + इ = वि
उ + ए = वे
उ + ओ = वो
ऊ + अ = व
ऊ + आ = वा
ऊ + इ = वि
ऋ + अ = र
ऋ + आ = रा
ऋ + इ = रि
ऋ + उ = रु
नोट = (त् + र् = त्र) यहाँ पर (त् + रा = त्रा)
अर्थात् = मात् + रा + ज्ञा
मात्रा + ज्ञा = मात्राज्ञा
→ जब ‘ए, ऐ, ओ या औ’ के बाद कोई भिन्न स्वर आए तो ‘ए’ के स्थान पर ‘अय’, ‘ऐ’ के स्थान पर ‘आय’ तथा ‘ओ’ के स्थान पर ‘अव’ और “औ” के स्थान पर ‘आव’ हो जाता है |
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