विशेषण की अवस्थाएँ और विशेषण की रचना (Visheshan ki avastha or Visheshan ki Rachna)
विशेषण की अवस्थाएँ (Visheshan ki Avastha
(1) मूलावस्था
(2) उत्तरावस्था
(3) उत्तमावस्था
मूलावस्था
जिसमें किसी संज्ञा या सर्वनाम की सामान्य स्थिति का बोध होता है |
जैसे –
(1) मोहन अच्छा लड़का है |
(2) वेदांत ईमानदार है |
उत्तरावस्था
जिसमें दो संज्ञा या सर्वनाम की तुलना की जाती है |
जैसे –
(1) महेश राहुल से अच्छा है |
(2) राम अभिषेक से श्रेष्ठतर है |
(3) गीता राधा से सुन्दर है |
उत्तमावस्था
जिसमें दो से अधिक संज्ञा या सर्वनामों की तुलना करके, एक को सबसे अच्छा या बुरा बतलाया जाता है वहाँ उत्तमावस्था होती है |
जैसे –
(1) अकबर सबसे अच्छा है |
(2) नीलम कक्षा में श्रेष्ठत्तम छात्र है |
अवस्था परिवर्तन
उत्तरावस्था →
→ मूलावस्था के शब्दों के अन्त में “तर” प्रत्यय लगाया जाता है |
→ या शब्द के पूर्व “से अधिक” “से अच्छा” शब्दों का प्रयोग किया जाता है |
उत्तमावस्था →
मूलावस्था शब्दों के अन्त में “तम” प्रत्यय लगाकर |
→ या शब्द के पूर्व “सबसे” शब्द का प्रयोग करके |
जैसे
नोट → उत्तमावस्था में “सबसे” के साथ ‘तम’ का प्रयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे वाक्य व्याकरणिक रूप से अशुद्ध हो जाता है |
जैसे –
→ दिनेश ने कक्षा में सबसे अधिकतम अंक प्राप्त किये | (अशुध वाक्य)
→ दिनेश ने कक्षा में अधिकतम अंक प्राप्त किये |
→ राजेश परिवार में सबसे मेहनती है |
विशेषण की रचना
(1) उपसर्ग के योग से विशेषण
निर + भय = निर्भय
दुर् + बल = दुर्बल
स + बल = सबल
(2) प्रत्यय के योग से विशेषण
रंगा + इला = रंगीला
ज्ञान + वान = ज्ञानवान
बुद्धि + मति = बुद्धिमति
(3) उपसर्ग तथा प्रत्यय के योग से विशेषण
अधार्मिक = अ + धर्म + इक
नास्तिक = न + अस्ति + क
अन्यायी = अ + न्याय + ई
(4) संज्ञा शब्दों से विशेषण
नमक + ईन = नमकीन
नगर + इक = नागरिक
स्वर्ण + इम = स्वर्णिम
(5) सर्वनाम शब्दों से विशेषण
जो = जैसा
मैं = मेरा
वह = वैसा
(6) क्रिया से विशेषण
लूट + एरा = लुटेरा
झगड़ा + आलू = झगड़ालू
लड़ + आकू = लड़ाकू
(7) अव्यय से विशेषण
बाहर + ई = बाहरी
भीतर + ई = भीतरी