आज हम लिंग, लिंग के भेद – स्त्रीलिंग, पुल्लिंग, लिंग की पहचान के नियम, लिंग परिवर्तन के नियम के बारे में पड़ेगे |
लिंग शब्द का अर्थ होता है चिह्न या पहचान। व्याकरण के अन्तर्गत लिंग उसे कहते हैं जिसके द्वारा किसी विकारी शब्द के स्त्री या पुरुष जाति का होने का बोध होता है।
हिन्दी भाषा में लिंग दो प्रकार के होते हैं-
- पुल्लिंग – जिससे विकारी शब्द की पुरुष जाति का बोध होता है, उसे पुल्लिंग कहते हैं। जैसे – मेरा, काला, भाई, रमेश अध्यापक आदि।
- स्त्रीलिंग – जिससे विकारी शब्द के स्त्री जाति का बोध होता है, उसे स्त्रीलिंग कहते हैं। जैसे – मेरी, काली, बहिन, अध्यापिका आदि।
लिंग की पहचान के नियम
लिंग की पहचान शब्दों के व्यवहार से होती है। कुछ शब्द सदा पुल्लिंग रहते हैं तो कुछ सदैव स्त्रीलिंग ही रहते हैं। जैसे-
- दिनों एवं महीनों के नाम पुल्लिंग होते हैं, जैसे – सोमवार, चैत्र अगस्त आदि।
- पर्वताे एवं पेड़ों के नाम पुल्लिंग होते हैं, जैसे – हिमालय, अरावली, बबूल, नीम, आम आदि।
- अनाजों एवं कुछ द्रव्य पदार्थों के नाम पुल्लिंग होते हैं, जैसे – चावल, घी, दूध आदि।
- ग्रहों एवं रत्नों के नाम पुल्लिंग होते हैं, जैसे – सूर्य, पन्ना, हीरा आदि।
- अंगों के नाम, देवताआंे के नाम पुल्लिंग होते हैं, जैसे – कान, हाथ, इन्द्र, वरुण आदि।
- कुछ धातुओं के एवं समय सूचक नाम पुल्लिंग होते हैं, जैसे – सोना, लोहा, ताँबा, क्षण, घंटा आदि।
- भाषाआे एवं लिपियों का नाम स्त्रीलिंग होता है, जैसे – हिन्दी, उर्दू, देवनागरी, अरबी, गुरुमुखी, पंजाबी आदि।
- नदियों एवं तिथियों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं, जैसे – गंगा, यमुना, प्रथमा, पञ्चमी आदि।
- लताओं के नाम स्त्रीलिंग होते हैं, जैसे – मालती, अमरबेल अदि।
लिंग परिवर्तन
पुल्लिंग से स्त्रीलिंग बनाने के कुछ नियम इस प्रकार हैं-
शब्दान्त ‘अ’ को ‘आ’ में बदलकर-
छात्र – छात्रा
पूज्य – पूज्या
सुत – सुता
शब्दान्त ‘अ’ को ‘ई’ में बदलकर
देव – देवी
पुत्र – पुत्री
दास – दासी
शब्दान्त ‘आ’ को ‘ई’ में बदलकर-
नाना – नानी
लड़का – लड़की
बेटा – बेटी
शब्दान्त ‘आ’ को ‘इया’ में बदलकर-
बूढ़ा – बुढि़या
चूहा – चुहिया
बेटा – बिटिया
‘आनी’ प्रत्यय लगाकर-
देवर – देवरानी
चौधरी – चौधरानी
सेठ – सेठानी
‘नी’ प्रत्यय लगाकर-
शेर – शेरनी
मोर – मोरनी
सिंह – सिंहनी
शब्दान्त में ‘ई’ के स्थान पर ‘इनी’ लगाकर-
हाथी – हथिनी
तपस्वी – तपस्विनी
स्वामी – स्वामिनी
‘इन’ प्रत्यय लगाकर-
माली – मालिन
धोबी – धोबिन
‘आइन’ प्रत्यय लगाकर-
चौधरी – चौधराइन
ठाकुर – ठकुराइन
शब्दान्त ‘बान’ के स्थान पर ‘वती’ लगाकर-
गुणवान – गुणवती
बलवान – बलवती
भाग्यवान – भाग्यवती
शब्दान्त ‘मान’ के स्थान पर ‘मती’ लगाकर-
श्रीमान् – श्रीमती
बुद्धिमान – बुद्धिमती
शब्दान्त ‘ता’ के स्थान पर ‘त्री’ लगाकर-
नेता – नेत्री
दाता – दात्री
शब्द के पूर्व में ‘मादा’ शब्द लगाकर-
खरगोश – मादा खरगोश
भालू – मादा भालू
भिन्न रूप वाले कतिपय शब्द-
कवि – कवयित्री
मर्द – औरत
विद्वान – विदुषी
साधु – साध्वी
पुरुष – स्त्री